जानिए शनि प्रदोष व्रत की तारीख और पूजा विधि

Update: 2023-06-29 10:14 GMT
सनातन धर्म में वैसे तो कई व्रत त्योहार पड़ते हैं जो कि शिव शंकर की आराधना उपासना को समर्पित होते हैं लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता हैं।
पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाला प्रदोष व्रत 1 जुलाई दिन शनिवार को किया जाएगा। जिसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा हैं इस दिन भगवान शिव के साथ शनिदेव की पूजा अर्चना करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं और देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक का हैं। वही त्रयोदशी तिथि का आरंभ 1 जुलाई की सुबह 1 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा। वही समापन रात को 11 बजकर 7 मिनट पर होगा।
पूजन की संपूर्ण विधि-
आपको बता दें कि शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल यानी की संध्या के समय करना उत्तम माना जाता हैं। लेकिन प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्रों को धारण कर भगवान शिव के समक्ष व्रत पूजन का संकल्प लेकर शिव मंदिर जाएं और भगवान की विधिवत पूजा करें इसके बाद सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान आदि करें इसके बाद दूध, दही, घी और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर भगवान को बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग अर्पित करें इसके बाद भगवान की विधिवत पूजा करें उनकी आरती करें और पूजन में होने वाली भूल चूक के लिए क्षमा मांगे। माना जाता हैं कि इस विधि से अगर पूजा पाठ की जाए तो साधक को उत्तम फल की प्राप्ति होती हैं।
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