Karwa Chauth का जाने समय व्रत कथा के साथ सही महूरत

Update: 2024-10-20 11:05 GMT
Karwa Chauth ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं. करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिक जी के साथ चंद्र देव की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से व्रत का पालन कर माता करवा से अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में सुख शांति के लिए प्रार्थना करती हैं. करवा चौथ में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन कर अपने पति का चेहरा देखने के बाद ही व्रत तोड़ती हैं. इस दिन पूजा करने के साथ आरती और व्रत कथा का पाठ करने से व्रत पूर्ण रूप से सफल माना जाता है.
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर, रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा. करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस समय पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा.
चंद्रोदय का चंद निकलने का समय
करवा चौथ के दिन दिल्ली में चंद्रोदय रात 9 बजकर 10 मिनट पर होगा जिसके बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोल सकती हैं.
करवा चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कर्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ करते हैं. इसमें गणेश जी का पूजन होता है. प्राचीन काल एक द्विज नामक ब्राह्मण के 7 पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या थी. वीरवती एक सुंदर और धर्मनिष्ठ राजकुमारी थी. वह अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी. विवाह के बाद, वीरवती ने पहली बार अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा. उसने दिनभर अन्न-जल ग्रहण नहीं किया और पूरी श्रद्धा के साथ व्रत का पालन किया. लेकिन दिन ढलते-ढलते भूख और प्यास के कारण वह अत्यधिक कमजोर हो गई. वीरवती की यह दशा देखकर उसके भाई चिंतित हो गए. वे अपनी बहन की हालत देखकर दुखी हो गए और उसे व्रत तोड़ने के लिए मनाने लगे, लेकिन वीरवती ने कहा कि जब तक चंद्रमा उदित नहीं होता, वह व्रत नहीं तोड़ेगी.
वीरवती के भाइयों ने अपनी बहन की हालत देखकर एक उपाय सोचा. उन्होंने पेड़ की आड़ में छल से एक दर्पण का उपयोग करके नकली चंद्रमा बना दिया. भाइयों ने वीरवती से कहा कि चंद्रमा निकल आया है और उसे देखकर व्रत तोड़ लो. वीरवती ने वह नकली चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ दिया और जल ग्रहण कर लिया. जैसे ही उसने व्रत तोड़ा, उसे यह सूचना मिली कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार हो गया है.वीरवती को तुरंत आभास हुआ कि उसने चंद्रमा की पूजा किए बिना और सही समय से पहले व्रत तोड़ दिया, जिसके कारण यह अनहोनी हुई. वह अत्यधिक दुखी हुई और पश्चाताप करने लगी. अपने पति की लंबी आयु के लिए वीरवती ने दृढ़ संकल्प किया और पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत फिर से रखा. उसकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसे आशीर्वाद दिया और उसका पति स्वस्थ हो गया.
करवा चौथ माता की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
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