Karva Chauth व्रत के दौरान पढ़ी जाती धोबिन की यह कथा

Update: 2024-10-20 08:32 GMT

Karwa Chauth Vrat Katha करवा चौथ व्रत कथा : करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार वैवाहिक जीवन को सुंदर बनाने और रिश्तों को मजबूत बनाने वाला माना जाता है। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 29 मई 2013 दिन रविवार को रखा जायेगा। करवा चौथ के दिन महिलाएं पूरे दिन नजला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ व्रत में व्रत कथा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जब तक व्रत कथा नहीं पढ़ी या सुनी नहीं जाती तब तक व्रत पूरा नहीं होता। करवा चौथ को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथा के अनुसार तुंगभद्रा नदी के किनारे एक गांव में कलवा नाम का एक सदाचारी धोबी अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसका पति बूढ़ा और कमज़ोर था। एक दिन जब वह नदी किनारे कपड़े धो रहा था, तभी अचानक एक मगरमच्छ आया और अपने पंजों को दांतों में दबाकर वॉशिंग मशीन को यमरोक की ओर खींचने लगा। जब बूढ़े ने यह देखा तो वह डर गया और कुछ नहीं बोला, लेकिन फिर उसने ऐसा किया...! इसे करें। इसलिए वह अपनी पत्नी को फोन करने लगा.

जब धोबिन ने अपने पति की आवाज सुनी और वहां पहुंची तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक ले जाने ही वाला था। तब करवा ने मगरमच्छ को कच्चे रेशम से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पर पहुंची।

वह यमराज से अपने पति की रक्षा करने की प्रार्थना करती है और कहती है, "हे भगवान!" मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया। इस अपराध की सजा के रूप में मगरमच्छ को नरक में भेजा जाता है।

जब यमराज ने कलवा की पुकार सुनी तो उन्होंने कहा, 'मगरमच्छ की अभी थोड़ी जान बची है, मैं इसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता।' इस बारे में करवा ने कहा, 'यदि आप मेरे पति को बचाने में मेरी मदद नहीं करेंगे तो मैं आपको श्राप देकर नष्ट कर दूंगी।' – शिव पार्वती के बारे में कहानियाँ – पार्वती जीजी ने यह भी पूछा कि करवा चुथ क्यों रखा जाता है? उनका कहना था कि करवा चौथ से घर की विघ्न-बाधाएं जल्दी दूर हो जाती हैं। यह पित्त स्राव को भी दबाता है। दूसरी कथा में श्रीकृष्ण द्रौपदी बताते हैं कि प्राचीन काल में एक धर्मात्मा ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी। जब उनकी बेटी बड़ी हुई तो उन्होंने शादी कर ली. इस लड़की ने कार्तिक की चतुर्थी को करवा चुथ का व्रत रखा। एक ब्राह्मण लड़की ने पूरे 12 महीने चुथ सहित पूरे दिन बिना पानी के उपवास किया। एक पौराणिक कथा के अनुसार, उनके दिवंगत पति को उपवास के प्रभाव से पुनर्जीवित किया गया था।

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