जानिए ओपल रत्न धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि

रत्न शास्त्र में 9 प्रमुख रत्नों का वर्णन मिलता है। इन रत्नों पर किसी न किसी ग्रह का आधिपत्य होता है।

Update: 2022-07-15 12:40 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रत्न शास्त्र में 9 प्रमुख रत्नों का वर्णन मिलता है। इन रत्नों पर किसी न किसी ग्रह का आधिपत्य होता है। इन रत्नों को धारण करने से मनुष्य को ग्रहों की शुभता मिलती है। यहां हम बात करने जा रहे हैं ओपल रत्न के बारे में। जो पति- पत्नी के बीच खटास को दूर करता है और संबंधों को मधुर बनाता है। साथ ही ओपल को धारण करने से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। ओपल रत्न का संबंध शुक्र रत्न से माना जाता है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह को दांपत्य जीवन, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण और भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है। आइए जानते हैं ओपल रत्न धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…

इन राशि के लोग कर सकते हैं धारण:
वैदिक ज्योतिष मुताबिक ओपल तुला और वृष राशि के लोगों लिए बेहद शुभ माना जाता है। तुला राशि के जातक ओपल को जीवन रत्न के रूप में पहन कर सकते हैं। इसके अलावा कुंडली का विश्लेषण कराकर इस रत्न को मकर, कुंभ, मिथुन और कन्या राशि के जातक भी धारण कर सकते हैं।
साथ ही अगर नवांश कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर मतलब कम डिग्री का स्थित हों तो भी ओपल पहन सकते हैं। वहीं शुक्र जन्मकुंडली के प्रथम, दूसरे, सातवें, नौवें या दसवें भाव में होने पर ओपल पहना जाता है। शुक्र ग्रह के चंद्रमा, सूर्य और गुरु ग्रह शत्रु ग्रह माने जाते हैं। इस वजह से माणिक्‍य, मोती और पुखराज के साथ ओपल रत्न नहीं पहनना चाहिए। साथ ही पन्ना और नीलम के साथ ओपल को धारण कर सकते हैं, क्योंकि ज्योतिष के अनुसार शनि देव और शुक्र ग्रह में मित्रता का भाव विद्यमान है।
ओपल पहनने के फायदे:
ज्योतिष शास्त्र अनुसार इस रत्न को पहनने करने से वैवाहिक जीवन में या प्रेम संबंधों में आ रही खटास दूर होती है। इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। वहीं जो लोग संगीत, अभिनेता, अभिनेत्री, चित्रकला, नृत्य, टीवी, फिल्म, थिएटर, कम्पूटर, आईटी से सम्बंधित क्षेत्रों में कार्यरत हैं। उन लोगों के लिए ओपल शुभ फलदायी माना जाता है।
ओपल धारण करने की सही विधि:
ज्योतिष शास्त्र अनुसार ओपल को पहनने के लिए शुक्ल पक्ष का शुक्रवार दिन शुभ रहता है। इस दिन इसे सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में ओपल रत्न को धारण करना चाहिए। इसे धारण से पहले इस रत्न जड़ित अंगूठी को गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। शुद्ध करके इस अंगूठी को सफेद कपड़े के ऊपर रख लें फिर शुक्र के मंत्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: की एक माला जप करके अंगूठी को धारण कर लेना चाहिए। साथ ही इसके बाद किसी भी ब्राह्लाण को शुक्र ग्रह से संबंधित दान चरण स्पर्श करके देना चाहिए।
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