जानिए गुप्त नवरात्रि की मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Update: 2023-01-22 14:50 GMT

हर वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माघ गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार आज से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है, जो 30 जनवरी यानी नवमी के दिन समाप्त होगी। इस दौरान आदिशक्ति की साधना श्रद्धा भाव से की जाती है। साथ ही व्रत रखा जाता है। आज व्रत का पहला दिन है। इस दिन घट स्थापना की जाती है। इस वर्ष माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है। यह बेहद शुभ योग है। धार्मिक मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की देवियों की श्रद्धा भाव से पूजा और उपासना करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। तंत्र, मंत्र, जादू-टोना सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। आइए, गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-

घटस्थापना मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्र में घटस्थापना का मुहूर्त आज यानी 22 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 10 बजकर 46 मिनट तक है। इस दौरान साधक घट स्थापना कर सकते हैं। साथ ही व्रत संकल्प लेकर मां की पूजा उपासना कर सकते हैं। इसके अलावा, पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 1 बजकर 54 मिनट तक है।
महत्व
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। वहीं, तंत्र विद्या सीखने वाले साधकों के लिए भी गुप्त नवरात्रि महत्वपूर्ण है। गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी सभी दुःख और संकट का नाश होता है। साथ ही साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इन नौ दिनों में साधक महाविद्याओं की देवियों को कठिन भक्ति से प्रसन्न करते हैं। मां प्रसन्न होकर व्यक्ति विशेष की सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं।
पूजा विधि
आज स्नान-ध्यान से निवृत होकर सबसे पहले आमचन करें। फिर, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मां का स्मरण कर व्रत संकल्प लें। इसके पश्चात मां शैलपुत्री की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत आदि से करें। मां को लाल पुष्प अति प्रिय है। अत: मां को लाल पुष्प जरूर भेंट करें। इससे साधक को सभी रोगों से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि मां शैलपुत्री को गाय का घी अति प्रिय है। अतः मां को गाय के घी से युक्त मिष्ठान जरूर भेंट करें। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। माता शैलपुत्री का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
अंत में मां की आरती कर उनसे परिवार के मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। आप चाहें तो एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार कर सकते हैं।
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