जानिए महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त, और इनके महत्व

महाशिवरात्रि के त्योहार का हिंदू धर्म में काफी महत्व है।

Update: 2021-02-02 08:33 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | महाशिवरात्रि के त्योहार का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। ये भगवान शिव से जुड़े सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ये कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुई थी। इसलिए हर महीने इस तिथि को शिवरात्रि का व्रत भी किया जाता है। इसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं।

इसमें सबसे ज्यादा महत्व फाल्गुन महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि की है। इसे ही महाशिवरात्रि कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन से साधक को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। खासकर जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही होती है, वे इसे जरूर करती हैं।

महाशिवरात्रि कब है?

पंचाग के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 11 मार्च (गुरुवार) को पड़ेगा। खास बात ये है कि इस दिन कई शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन शिव योग निर्माण हो रहा है। पंचाग के अनुसार नक्षत्र घनिष्ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेगा।

पंचाग के अनुसार 11 मार्च को त्रयोदशी तिथि दोपहर 2.39 तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी की शुरुआत हो रही है और इसका समापन अगले दिन दोपहर 3.02 बजे होगा। महाशिवरात्रि के पूजन का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि पर निषित काल पूजा का मुहूर्त 11 मार्च को आधी रात में 12.06 बजे (यानी 22 फरवरी) से शुरू होगा और 12.55 बजे तक रहेगा। ये करीब 48 मिनट का मुहूर्त होगा। वहीं शिवरात्रि पारण का समय 12 मार्च की सुबह 06.34 बजे से दोपहर 3.02 बजे तक रहने वाला है।

महाशिवरात्रि पर रात के पहर के अनुसार भी पूजा के शुभ मुहूर्त हैं। रात के पहले पहर में पूजा का मुहूर्त 11 तारीख की रात 6.27 से 9.29 तक होगा। इसके बाद दूसरे पहर का मुहूर्त रात 9.29 से आधी रात 12.31 (12 मार्च) तक का रहेगा।

तीसरे पहर का मुहूर्त आधी रात 12.31 बजे से तड़के 3.32 (12 मार्च) तक का होगा। ऐसे ही रात के चौथे पहर का मुहूर्त तड़के 3.32 से सुबह 6.34 (12 मार्च) तक का रहेगा।

महाशिवरात्रि की व्रत विधि

शिवरात्रि के व्रत से एक दिन पहले श्रद्धालुओं को एक बार भोजन करना चाहिए। ये भोजन सादा हो। शिवरात्रि के दिन साधकों को सुबह के नियमित पूजा पाठ के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन उपवास रखें। मंदिर जाकर भी भगवान शिव की विशेष पूजा की जा सकती है।

भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र, उजले या पीले फूल, धतुरा, मिठाई और गाय के दूध का इस्तेमाल जरूर करें। महाशिवरात्रि पर शाम या रात की पूजा का महत्व विशेष है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष भी दूर होता है। इस दिन शिवपुराण और महामृत्युंजय मंत्र पढ़ना चाहिए।

Tags:    

Similar News

-->