महाभरणी श्राद्धMahabharani Shraddha: इस समय पितृपक्ष चल रहा है। आज पितृपक्ष का पांचवां दिन है। आज चतुर्थी का श्राद्ध किया जाता है। आज चतुर्थी श्राद्ध के साथ महाभरणी श्राद्ध भी है। धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार जब किसी तिथि को विशेष बताया जाता है तो काल के दौरान भरणी नक्षत्र होते हैं तब इसे भरणी श्राद्ध कहा जाता है। धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार महाभरणी श्राद्ध का फल इन श्राद्ध के समान है। पितृपक्ष में भरणी नक्षत्रों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भरणी नक्षत्र के स्वामी यम हैं। ऐसी मान्यता है कि इस नक्षत्र में श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्ण नक्षत्र पितृ पक्ष Full Nakshatra Pitru Paksha में आमतौर पर चतुर्थी या पंचमी पर ही होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि ये इसी तारीख पर है। तृतीया या षष्ठी पर भी भरणी नक्षत्र पड़ सकते हैं। आइए जानते हैं आज यानी 21 सितंबर को भरणी नक्षत्र कब होते हैं, कुतुप काल और श्राद्ध-विधि: भरणी नक्षत्र कब होते हैं- इस बार चतुर्थी तिथि यानी 21 सितंबर को भरणी नक्षत्र में भरणी श्राद्ध किया जाता है।
भरणी नक्षत्र आरंभ- 21 सितंबर 2024 को 2 नागार्जुन 43 मिनट से भराणी नक्षत्र समाप्त- 22 सितंबर 2024 को 12 नागालैंड 36 मिनट तक कुतुप काल : दोपहर 11:49 से 12:38 बजे तक श्राद्ध विधि 1. किसी सुयोग विद्वान ब्राह्मण के द्वारा ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करना चाहिए।
2. श्राद्ध कर्म में पूर्ण श्रद्धा वाले ब्राह्मणों को दान देना ही साथ जाता है यदि किसी गरीब, धार्मिक व्यक्ति की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य होता है।
3. इसके साथ-साथ गाय, कुत्ता, कौवे आदि पशु-पक्षियों के भोजन का एक अंश अवश्य लेना चाहिए।