जानिए कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
यूपी, बिहार, राजस्थान और एमपी में तीज का त्योहार धूमधाम के साथ मानाया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूपी, बिहार, राजस्थान और एमपी में तीज का त्योहार धूमधाम के साथ मानाया जाता है। हर साल भाद्रपद या भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाते हैं। कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातूड़ी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली व सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
हरियाली तीज के 15 दिन बाद आती है कजरी तीज-
सावन और भादो मास के दौरान तीज मनाई जाती हैं। जो कि हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज हैं। हरियाली तीज का त्योहार 31 जुलाई 2022 को मनाया गया था। हरियाली तीज से 15 दिनों के बाद कजरी तीज मनाई जाती है। यह आमतौर पर कृष्ण जन्माष्टमी के पांच दिन पहले आती है। इस साल कजरी तीज 14 अगस्त 2022, रविवार को मनाई जाएगी।
कजरी तीज का शुभ मुहूर्त -
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 13 अगस्त को रात 12 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि अगले दिन 14 अगस्त को रात 10 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, कजरी तीज व्रत 14 अगस्त को रखा जाएगा।
कजरी तीज पूजा विधि-
इस दिन महिलाएं स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाती हैं, या फिर बाजार से लाई मूर्ति का पूजा में उपयोग करती हैं। व्रती महिलाएं माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करती हैं। इसके बाद वे शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करती हैं, जिसमें वह माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित करती हैं, वहीं भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि चढ़ाती हैं। फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करती हैं और शिव-गौरी की कथा सुनती हैं। इस दिन गाय की पूजा की जाती है। गाय को रोटी व गुड़ चना खिलाकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं।
चंद्रोदय के बाद खोला जाता है व्रत -
कजरी तीज का व्रत चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है।