जानिए रोहिणी व्रत से दूर होती हैं आर्थिक समस्याएं
आज रोहिणी व्रत है. ज्योतिष में रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व है और यह व्रत उसी नक्षत्र से संबंधित है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज रोहिणी व्रत है. ज्योतिष में रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व है और यह व्रत उसी नक्षत्र से संबंधित है. मनोकामना की पूर्ति के लिए इस दिन कौन-कौन से विशेष उपाय करने चाहिए.
पति की लंबी उम्र के लिए करें यह विशेष उपाय
रोहिणी व्रत के जरिए महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और बेहतर जीवन की कामना करती हैं. इस पर्व को विशेष तौर पर इसलिए भी मनाया जाता है. मान्यता है कि रोहिणी व्रत का संबंध रोहिणी नक्षत्र से है, जो हर माह में एक बार आता है.
सताईस नक्षत्रों में से रोहिणी चौथा नक्षत्र है. रोहिणी नक्षत्र के स्वामी शुक्र व इनके पति चंद्र तथा देवता ब्रह्मा हैं. चंद्रमा की सबसे सुंदर और प्रिय पत्नी रोहिणी हैं.
जामुन के वृक्ष को माना गया है नक्षत्र का प्रतीक
वृष राशि का मस्तक रोहिणी को कहा जाता है. महीने में जिस दिन सूर्योदय के समय रोहिणी नक्षत्र रहता है, उसी दिन रोहिणी पर्व मनाने का प्रावधान है. रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, जामुन का दान किया जाता है. दरअसल, रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक जामुन के वृक्ष को माना गया है.
शनिवार को पड़ने वाला रोहिणी पर्व भगवान कृष्ण, महालक्ष्मी व चंद्रदेव को समर्पित है. इस पूजन में किसी प्रकृतिक जल स्रोत का पूजन करने का विधान है. रोहिणी पर्व के दिन विधि विधान के साथ पूजन करने से सभी तरह के दुखों और गरीबी से छुटकारा मिलता है. रोहिणी व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने बाद मृगशीर्ष नक्षत्र के लगने पर किया जाता है.
रोहिणी व्रत कथा और मान्यताएं
प्राचीन काल में धन मित्रा नाम के एक राजा थे. उनकी एक बेटी का नाम दुर्गंधा था, उसके शरीर से जन्म से बाद से ही काफी दुर्गंध आती थी. राजा को हमेशा इस बात की चिंता सताती थी कि आखिर उसकी बेटी से कौन विवाह करेगा. अंत में राजा ने एक ऋषि के कहने पर अपनी बेटी दुर्गंधा से पूरी श्रद्धापूर्वक पांच सालों तक रोहिणी व्रत रखने की सलाह दी. दुर्गंधा ने अपने पिता की बात मान ली और पांच साल तक लगातार रोहिणी व्रत का पालन किया. इसके बाद उसका शरीर दुर्गंध मुक्त हो गया और उसका विवाह हस्तिनापुर के राजा अशोक के साथ हुआ.
रोहिणी व्रत से दूर होती हैं आर्थिक परेशानी
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कुल 27 नक्षत्रों में से एक रोहिणी नक्षत्र होता है इसलिए इसकी पूजा की जाती है. साल के हर महीने में यह व्रत आता है और माना जाता है कि यह व्रत उस दिन रखा जाता है जब रोहिणी नक्षत्र, सूर्योदय के बाद प्रबल होता है.
मान्यता ये भी है कि रोहिणी व्रत करने से भक्तों के जीवन से सभी दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है, उनका दांपत्य जीवन भी खुशहाल हो जाता है.
इस दिन पूरे दिन भूखा रहकर उपवास रखा जाता है और जाने-अनजाने में हुई अपनी सभी गलतियों के लिए भी भगवान से क्षमा मांग लिया जाता है.
आर्थिक बदहाली दूर करने के लिए करें रोहिणी व्रत
मान्यता है कि रोहिणी व्रत न सिर्फ बेहतर स्वास्थ्य, सुख और शान्ति के लिए रखते हैं, बल्कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को आर्थिक परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. आशीर्वाद से भक्तों के घर से कंगाली दूर हो जाती है और उनके घर में हमेशा देवी लक्ष्मी का वास रहता है. इसके साथ ही लंबे समय से चले आ रहे कर्जों से भी मुक्ति मिलती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश मंडल के 27 नक्षत्रों में से रोहिणी नक्षत्र चौथा नक्षत्र है. इसका स्वामी चंद्रमा है और नक्षत्र की राशि वृषभ है, जिसका का स्वामी शुक्र है. चंद्रदेव की 27 पत्नियों में से रोहिणी को एक माना गया है. प्रजापति दक्ष की पुत्री रोहिणी सबसे सुंदर और तेजस्विनी हैं. यही वजह है कि सभी पत्नियों में चंद्रमा रोहिणी से ज्यादा स्नेह रखते हैं. आकाश मंडल में जब भी चंद्रमा रोहिणी के नक्षत्र में आता है, उसका निखार और अधिक बढ़ जाता है.