जानिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है देवताओं की दिवाली, जिसके समापन से पूर्व स्नान करना माना जाता है श्रेष्ठ
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को विशेष महत्व बताया गया है
जनता से रिश्त वेबडेस्क। पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है. हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने जैसे कर्मों को श्रेष्ठ माना गया है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देवता दिवाली होती है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देवतागण अपनी दिवाली मनाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी के किनारे दीप जलाए जाते हैं. भारत के सबसे प्राचीन नगर काशी में इस दिन गंगा नदी के तट के किनारे दीप जलाए जाते हैं, ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव ने जब त्रिपुरासुर नाम के तीन राक्षस भाइयों का वध किया था तो इस दिन देवताओं ने खुशी में दीपक जलाए थे. एक अन्य कथा के जिस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था उस दिन कार्तिम मास की पूर्णिमा तिथि थे, राक्षस वध से प्रसन्न देवता इस दिन काशी नगरी में आए और काशी में दीए जलाकर दिवाली मनाई.
कब होगी देव दिवाली
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर को दोपहर 12.47 बजे से शुरु होकर 30 नवंबर तक दोपहर 2.59 बजे तक रहेगी. दिवाली रात का पर्व है, इसीलिए 29 नवंबर की रात काशी में दीए जलाकर देव दिवाली मनाई जाएगी.
कार्तिक पूर्णिमा पर कब होगा स्नान
पंचांग के अनुसार 30 नवंबर को पूर्णिमा का समापन होगा. इसलिए पूर्णिमा की तिथि के समापन से पूर्व स्नान करना श्रेष्ठ माना जा रहा है. इसलिए 30 नवंबर को प्रात: स्नान के बाद दान आदि के शुभ कार्य भी कर सकते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि
29 नवंबर को 12:49:43 से पूर्णिमा आरम्भ
30 नवंबर को 15:01:21 पर पूर्णिमा समाप्त