जानिए चाणक्य की वह नीति जो बना सकती है आपको धनवान, जिसके लिए अपने भीतर करना होगा कुछ गुणों को विकसित
चाणक्य आचार्य होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्र भी थे. चाणक्य ने अर्थशास्त्र का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था
आचार्य चाणक्य ने अपने अध्ययन और अनुभव से पाया कि हर व्यक्ति के मन में धनवान की बनने की अभिलाषा होती है. इस अभिलाषा को पूरा करने के लिए व्यक्ति अथक परिश्रम करता, लेकिन कभी कभी कठोर परिश्रम करने के बाद भी धनवान नहीं बन पाता है. तब व्यक्ति अवसाद से ग्रसित हो जाता है. स्वयं को कमजोर और असफल महसूस करने लगता है.
चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि लक्ष्मी जी का आर्शीवाद उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जो साहसी, कर्मशील और निपुण होता है. ये कुछ ऐसे गुण हैं जो व्यक्ति को धनवान बनाने में मदद करते हैं. इसके साथ ही चाणक्य ने कुछ गुण भी बताए जिसके बल पर व्यक्ति धन की देवी लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त कर सकता है.
साहसी और निपुण बनें
चाणक्य के अनुसार लक्ष्मी जी उसी को अपना आर्शीवाद प्रदान करती हैं जो साहसी होता और हर कार्य में निपुण होता है. चाणक्य की मानें तो धन कमाने के लिए व्यक्ति को यदि सात संमदर पार भी जाना पड़े तो इसके लिए उसे तैयार रहना चाहिए. ये वही कर सकता है जिसमें साहस होता है. क्योंकि जोखिम और साहस से धन की प्राप्ति होती है.
गलत कार्यों से बचें
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए. धन बहुत चंचल होता है इसका स्वभाव है कि कहीं भी अधिक दिनों तक टिक नहीं रहता है. जो लोग धन अर्जित करने के लिए गलत मार्गों पर चलते हैं उनके पास धन अधिक दिनों तक नहीं रूकता है. ऐसा धन व्यक्ति में बुराई लाता है. कई प्रकार की समस्याओं को जन्म देता है तनाव, रोग और शत्रुता में वृद्धि करता है. इसलिए धन अर्जित करने के लिए हमेशा सही मार्गों का ही चयन करना चाहिए. सही मार्ग पर चलकर अर्जित किया गया धन व्यक्ति को सम्मान और संतुष्ठि प्रदान करता है.