जानिए माघ पूर्णिमा से जुड़ी खास जानकारी

माघ मास की पूर्णिम तिथि को धार्मिक रूप से विशेष महत्व दिया गया है. मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान और जाप करने से सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यहां जानिए माघी पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें.

Update: 2022-02-15 04:50 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन धर्म में पूर्णिमा (Purnima) को विशेष महत्व दिया गया है. हर माह शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है. इसके बाद कृष्ण पक्ष की शुरुआत हो जाती है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी कलाओं से सुशोभित होता है. 16 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा (Magh Purnima 2022) है. इसे माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima) के नाम से भी जाना जाता है. इसी तिथि पर संत रविदास का जन्म हुआ था, इस कारण माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान, दान और जाप का विशेष महत्व बताया गया है. साथ ही पूर्णिमा तिथि का व्रत भी विशेष फलदायी माना जाता है. यहां जानिए माघी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व, शुभ मुहूर्त और अन्य जरूरी जानकारी.

माघी पूर्णिमा का महत्व
माघ मास को लेकर कहा जाता है कि इस पूरे माह में देवता मनुष्य का रूप धारण करके धरती पर रहते हैं और प्रयाग में दान और स्नान करते हैं. भजन और सत्संग वगैरह करते हैं. पूर्णिमा के दिन देव आखिरी बार स्नान दान आदि करते हैं और इसके बाद अपने देवलोक लौट जाते हैं. इस कारण इस पूरे माह में ही दान, स्नान, भजन, कीर्तन और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व बताया गया है. जो लोग पूरे माह ऐसा न कर सकें, वे कम से कम पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और ​जाप आदि कर सकते हैं. मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इस दिन गंगा स्नान करने से सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रयाग में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है.
माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा 15 फरवरी 2022, मंगलवार को रात 09:12 बजे से शुरू होगी और 16 फरवरी 2022, बुधवार को रात 10:09 मिनट तक रहेगी. इसी एक साथ एक माह का कल्पवास भी पूर्ण होगा.
इन बातों का रखें खयाल
– माघ पूर्णिमा के दिन अगर आप प्रयागराज में स्नान न कर सकें तो किसी भी गंगा तट पर स्नान कर सकते हैं. अगर ऐसा संभव न हो, तो घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
– इस दिन भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है. आप नारायण की पूजा मां लक्ष्मी के साथ करें. सत्यनारायण की कथा इस दिन जरूर पढ़ें. भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते, पंचामृत, पुष्प, पंजीरी, मौली, रोली, कुमकुम, पीले ​अक्षत, गंगाजल, पीला चंदन आदि का इस्तेमाल करें.
– इस दिन सामर्थ्य के अनुसार कुछ भी दान करें. आप गुड़, काले तिल, कपास, भोजन, वस्त्र, घी, लड्डू, अन्न आदि कुछ भी दान कर सकते हैं. दान किसी जरूरतमंद को ही करें.
– काले तिल से हवन करें और अधिक से अधिक नारायण के मंत्रों का जाप करें. मान्यता है कि इससे जीवन के तमाम कष्ट कट जाते हैं और जाप का कई गुणा फल प्राप्त होता है.


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