कब करें व्रत का पारण (When To Do Navratri Vrat Parana)
किसी भी व्रत का फल उसके पूर्ण होने के बाद ही मिलता है. कहते हैं कि व्रत के पारण के बाद ही व्रत को पूर्ण माना जाता है. इसलिए व्रत का पारण तिथि और नियमों के अनुसार करना जरूरी है. इस बार नवमी तिथि, 13 अक्टूबर बुधवार को रात 08 बजकर 09 से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर, गुरुवार को शाम 06 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए नवमी का पूजन 14 अक्टूबर को किया जाएगा. दशमी तिथि 14 अक्टूबर, 06 बजकर 53 मिनट से शुरू हो जाएगी. इसलिए व्रत का पारण सूर्योदय के बाद 15 अक्टूबर के दिन ही करें.
नवरात्रि 2021 पारण विधि
ग्रंथों में नवरात्रि व्रत पारण के लिए नवमी तिथि का समापन या दशमी तिथि को उत्तम माना गया है. नवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद नवमी के दिन मां भगवती के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां को फल, फूल, पान, सुपारी अक्षत और सिंदूर अर्पित करें और हवन करने के बाद कन्या पूजन करें. कन्या पूजन में नौ कन्याओं और एक लंगूर को भोजन करवाएं. पारण के लिए नवमी तिथि के समापन या दशमी तिथि के आरंभ पर पारण करें. अगर दशमी को पारण करते हैं तो सूर्योदय के बाद पारण करना उत्तम रहता है. मान्यता है कि व्रत का पारण माता के प्रसाद खाकर करना चाहिए. इससे आपको व्रत का पूरा फल मिलेगा और मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होंगी.
व्रत पारण नियम
- किसी भी व्रत में व्रत का पारण महत्वपूर्ण होता है, इसलिए व्रत पारण करते समय नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. तभी व्रत पूर्ण प्राप्त होता है. नवरात्रि व्रत का पारण दशमी तिथि के दिन करने से पूर्ण फल प्राप्त होता है.
-साथ ही, पारण से पहले मां दुर्गा की पूजा और घ्यान करें. सात्विक भोजन से ही व्रत का पारण करें.
मान्यता है कि कन्या पूजन के समय जिस तरह का भोजन उन्हें करवाते हैं उसी तरह के भोजन से व्रत का पारण करना चाहिए.
-इतना ही नहीं, अष्टमी का व्रत रखने के बाद नवमी तिथि को कन्या पूजन से पहले कुछ न खाएं. कई लोग रात 12 बजे के बाद ही व्रत का पारण कर लेते हैं, जो कि गलत है. सूर्योदय के बाद स्नान आदि करने और पूजा के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए.