जानिए कामिका एकादशी व्रत कथा

सावन मा​ह (Sawan Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) व्रत रखा जाता है.

Update: 2022-07-23 04:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।   सावन मा​ह (Sawan Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) व्रत रखा जाता है. इस साल कामिका एकादशी व्रत 24 जुलाई दिन रविवार को है. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और कामिका एकादशी व्रत कथा को सुनने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है. इतना ही नहीं, इस व्रत के दिन विष्णु पूजा से तीर्थों में स्नान करने के समान ही पुण्य लाभ होता है. एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कामिका एकादशी व्रत और उसके महत्व के बारे में पूछा. तब श्रीकृष्ण ने उनको कामिका एकादशी व्रत और उसकी कथा सुनाई थी.

कामिका एकादशी व्रत कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि एक बार नारद मुनि ने अपने परम पिता ब्रह्मा जी ने कामिका एकादशी व्रत की महिमा, विधि और कथा जानने की इच्छा प्रकट की. जब ब्रह्मा जी ने उनको इस व्रत के बारे में विस्तार से बताया था. वह बातें आज मैं तुम्हें बताने जा रहा हूंं.
सावन कृष्ण एकादशी कामिका एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है. इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं. उनकी पूजा करने से गंगा, पुष्कर, काशी आदि में स्नान करने के समान ही पुण्य प्राप्त होता है. जो लोग पाप से डरते हैं, उनको अवश्य ही कामिका एकादशी व्रत करना चाहिए. इस व्रत की कथा इस प्रकार है—
एक गांव में ठाकुर जी रहते थे. वह काफी क्रोधी स्वभाव के थे. एक दिन उनका एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया. क्रोधवश उस ठाकुर ने ब्राह्मण की हत्या कर दी. अपराध और पाप से मुक्ति के लिए उसने ब्राह्मण की ​अंतिम क्रिया करनी चाही, लेकिन ब्राह्मणों ने उसे आज्ञा न दी और उस पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया.
तब एक दिन उस ठाकुर ने एक मुनि से ब्रह्म हत्या से मुक्ति का उपाय पूछा. तब उस मुनि ने कहा कि ब्रह्म हत्या से मुक्ति कामिका एकादशी व्रत रखने से ही मिलेगी. इस व्रत को विधिपूर्वक करने से तुम्हारा पाप दूर हो जाएगा.
उस मुनि के बताए अनुसार ठाकुर ने कामिका एकादशी व्रत रखा और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा अर्चना की. रात्रि के समय वह भगवान विष्णु की मूर्ति के पास ही सो गया. स्वप्न में भगवान श्रीहरि ने दर्शन दिए और उसे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति प्रदान की.
जो लोग कामिका एकादशी की रात विष्णु मंदिर में दीपक जलाते हैं, उनके पितरों को स्वर्ग में अमृत पान का अवसर मिलता है. जो दीपक जलाते हैं, उनको मृत्यु के बाद सूर्य लोक में स्थान प्राप्त होता है. जो व्यक्ति कामिका एकादशी व्रत कथा सुनता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है और वह विष्णु लोक में स्थान पाता है.
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