जानिए कजरी तीज व्रत और पूजा विधि

Update: 2022-08-14 04:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।   आज 14 अगस्त दिन रविवार को कजरी तीज (Kajari Teej) मनाई जा रही है. हर साल भाद्रपद मा​ह में कृष्ण पक्ष की तृतीया ति​थि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागन महिलाएं और कुंआरी कन्याएं व्रत रखती हैं. यह निर्जला व्रत रखा जाता है. कजरी तीज का व्रत अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा करने का विधान है. कजरी तीज मुख्यत: उत्तर भारत में मनाई जाती है. इस दिन कजरी तीज से जुड़े लोक गीत गाए जाते हैं और महिलाएं झूला झूलती हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश से जानते हैं कजरी तीज के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

कजरी तीज 2022 मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ: 13 अगस्त, देर रात 12 बजकर 53 मिनट से
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का समापन: 14 अगस्त को रात 10 बजकर 35 मिनट पर
सर्वार्थ सिद्धि योग: आज रात 09 बजकर 56 मिनट से कल सुबह 05 बजकर 50 मिनट तक
सुकर्मा योग: आज प्रात:काल से लेकर देर रात 01 बजकर 38 मिनट तक
कजरी तीज व्रत और पूजा विधि
आज प्रात: महिलाओं और कन्याओं को निर्जला व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद व्रत रखना चाहिए. फिर पूजा के शुभ मुहूर्त में माता पार्वती और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. शुभ मुहूर्त में मिट्टी से माता पार्वती और महादेव की मूर्ति बना लें या फिर तस्वीर एक चौकी पर स्थापित कर दें.
इसके बाद गणेश जी का पूजन करें क्योंकि वे प्रथम पूज्य हैं. फिर भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें. उनको वस्त्र, चंदन, सफेद फूल, अक्षत्, शहद, गाय का दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, मदार का फूल आदि चढ़ाएं. धूप, दीप, गंध आदि भी अर्पित करें.
अब माता पार्वती को अक्षत्, सिंदूर, लाल फूल, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, लाल या हरे रंग की साड़ी, 16 श्रृंगार की सामग्री, फल, लाल या हरी चुड़ियां आदि चढ़ाएं और पूजा करें. इस दौरान शिव चालीसा, पार्वती चालीसा, तीज व्रत कथा का पाठ करें. उसके पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती की आरती विधि विधान से करें.
इसके बाद सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें. वहीं कुंवारी कन्याएं अपने मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए शिव और शक्ति से प्रार्थना करें. पूजा के बाद सास, ननद आदि को प्रसाद और सुहाग सामाग्री भेंट करें.
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