जानिए अमावस्या पर पितृदोष से मुक्ति पाने के उपाय

आषाढ़ माह की अमावस्या (Ashadha Amavasya) 29 जून दिन बुधवार को है. इस दिन पितृदोष (Pitra Dosh) से मुक्ति के उपाय किए जा सकते हैं

Update: 2022-06-23 08:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आषाढ़ माह की अमावस्या (Ashadha Amavasya) 29 जून दिन बुधवार को है. इस दिन पितृदोष (Pitra Dosh) से मुक्ति के उपाय किए जा सकते हैं. अमावस्या तिथि का प्रारंभ 28 जून को सुबह 05:52 बजे होगा. यह तिथि 29 जून को प्रात: 08:21 बजे खत्म होगी. सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 29 जून को है, इसलिए इस दिन ही अमावस्या मनाई जाएगी. इस अवसर पर पवित्र नदियों और सरोवर में स्नान करने और उसके पश्चात दान करने की परंपरा है. अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन प्रात:काल से वृद्धि योग है, जो प्रात: 08:51 बजे तक है, उसके बाद ध्रुव योग शुरु हो जाएगा. अमावस्या के दिन आर्द्रा नक्षत्र रात 10:09 बजे तक है. ये दोनों ही योग स्नान और दान के लिए ठीक हैं.

श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी कहते हैं कि पितृदोष के कारण संतान वृद्धि और परिवार की तरक्की में बाधाएं आती हैं. पितरों की आत्माएं भटकती रहती हैं, वे तृप्त नहीं होती हैं, तो वे परिवार के सदस्यों को ही परेशान करती हैं. कई बार उन अतृप्त आत्माओं के श्राप के कारण वंश वृद्धि नहीं हो पाती है, संतान का सुख वर्तमान पीढ़ी को नहीं मिल पाता है. इसका एक मात्र उपाय होता है उन आत्माओं को तृप्त करना, पितृदोष से मुक्ति प्राप्त करना.
अमावस्या पर पितृदोष से मुक्ति का उपाय
1. आमवस्या के दिन स्नान के बाद पितरों को जल का तर्पण किया जाता है. एक पात्र में जल, अक्षत् और काला तिल लेकर उससे तर्पण करते हैं, ताकि पितरों की आत्माएं तृप्त हो सकें.
2. ​यदि आपको पितृदोष है, तो अमावस्या के अवसर पर अपने पितरों के लिए पिंडदान करें. पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं, उनकी आत्माएं तृप्त होती हैं. तृप्त होने पर वे परिवार और वंश की उन्नति के लिए आशीर्वाद देते हैं.
3. अमावस्या के अवसर पर पितृदोष से मुक्ति के लिए पितरों के निमित्त श्राद्ध करें. उनके कारण होने वाले दुखों से आपको मुक्ति मिल सकती है.
4. घर पर पितरों के लिए गरुड़ पुराण का पाठ कराने से भी पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है.
5. अमावस्या के दिन पितरों को तृप्त करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, दान-दक्षिणा देकर विदा करते हैं. इससे भी पितर शांत होते हैं.
6. अमावस्या पर बना गए भोजन में से कुछ अंश कौआ, कुत्ता, गाय जैसे पशुओं को खिलाने से पितर प्रसन्न होते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि ये जीव भोजन ग्रहण कर लेते हैं, तो माना जाता है कि वह भोजन पितरों को प्राप्त हो गया है.
7. यदि आपके पास कुछ भी नहीं है तो आप अमावस्या के दिन अपने पितरों को अपनी वाणी से तृप्त कर सकते हैं. उनको जल अर्पित करते हुए प्रणाम करें और कहें कि हे सभी पितर! आप मेरी वाणी से तृप्त हों और पारिवार के सुख एवं शांति का आशीर्वाद दें.
Tags:    

Similar News

-->