जानिए कैसे शुरु हुई रंगों से होली खेलने की परंपरा
18 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा. हर साल होलिका दहन के अगले दिन रंगों और गुलाल से होली खेलने का चलन है, ये चलन कैसे शुरू हुआ और इसका क्या महत्व है, यहां जानिए इसके बारे में.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि (Phalguna Purnima) को होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन (Holika Dahan) को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इसके अगले दिन प्रतिपदा तिथि पर रंगों और गुलाल से होली (Holi with Colors) खेली जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली खेलने की ये परंपरा कैसे शुरू हुई. पौराणिक कथाओं में रंगों की होली का संबन्ध श्रीकृष्ण और राधारानी से संबन्धित बताया गया है. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने ही अपने ग्वालों के साथ इस प्रथा को शुरू किया था. यही वजह है कि होली के त्योहार (Holi Festivals) को आज भी ब्रज में अलग ढंग से ही मनाया जाता है. यहां लड्डू होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली, रंगों की होली आदि कई तरह की होली खेली जाती हैं और ये कार्यक्रम होली से कुछ दिनों पहले से शुरू हो जाता है. इस बार होली का पर्व 18 मार्च को मनाया जाएगा. यहां जानिए कि आखिर रंगों की होली खेलने का ये चलन कैसे शुरू हुआ.