जानिए नवरात्रि में असल में कितनी देवियों की होती है पूजा

नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा होती है, लेकिन क्या यह सच है कि सिर्फ नौ देवियों की ही पूजा होती है

Update: 2021-04-14 16:41 GMT

नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा होती है, लेकिन क्या यह सच है कि सिर्फ नौ देवियों की ही पूजा होती है? क्या है नौ देवियों का रहस्य आओ जानते हैं इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी।

1. नवरात्रि उत्सव को नवदुर्गा उत्सव भी कहा जाता है। नवदुर्गा अर्थात दुर्गा के नौ रूप। मतलब एक ही शक्ति के नौ रूप। वह शक्ति है माता अम्बा, जगदम्बा, सर्वेश्वरी। सती या पार्वती नहीं। कहते हैं कि सती या पार्वती भी उन्हीं के रूप हैं।
सभी माताओं को उनके वाहन, भुजा और अस्त्र शस्त्र से पहचाना जाता है।
2. वह शक्ति अम्बिका (पार्वती या सती नहीं) कही गई है। उसको प्रकृति, सर्वेश्वरी, त्रिदेव जननी (ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता), नित्या और मूल कारण भी कहते हैं। सदाशिव द्वारा प्रकट की गई उस शक्ति की 8 भुजाएं हैं।
3. हिरण्याक्ष के वंश में उत्पन्न एक महा शक्तिशाली दैत्य हुआ, जो रुरु का पुत्र था जिसका नाम दुर्गमासुर था। दुर्गमासुर से सभी देवता त्रस्त हो चले थे। उसने इंद्र की नगरी अमरावती को घेर लिया था। देवता शक्ति से हीन हो गए थे, फलस्वरूप उन्होंने स्वर्ग से भाग जाना ही श्रेष्ठ समझा। भागकर वे पर्वतों की कंदरा और गुफाओं में जाकर छिप गए और सहायता हेतु आदिशक्ति अम्बिका की आराधना करने लगे। देवी ने प्रकट होकर देवताओं को निर्भिक हो जाने का आशीर्वाद दिया एक दूत ने दुर्गमासुर को यह सभी गाथा बताई और देवताओं की रक्षक के अवतार लेने की बात कहीं। तक्षण ही दुर्गमासुर क्रोधित होकर अपने समस्त अस्त्र-शस्त्र और अपनी सेना को साथ ले युद्ध के लिए चल पड़ा। घोर युद्ध हुआ और देवी ने दुर्गमासुर सहित उसकी समस्त सेना को नष्ट कर दिया। तभी से यह देवी दुर्गा कहलाने लगी।
4. नवरात्रि में उस आदि शक्ति के अलावा माता सती और पार्वती के रूपों की ही पूजा होती है जैसे शैलपुत्री अर्थात पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती। पार्वती का ही रूप है ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, स्कंदमाता और महागौरी। मतलब 5 रूप तो माता पार्वती के ही है। कात्यायनी, कालरात्रि और सिद्धिदात्री माता दुर्गा के रूप हैं।
5. वैसे तो इन नवरात्रि में भी उन्हीं नौ माताओं की पूजा और आराधना होती है परंतु गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा होती है। मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। इसमें से कुछ देवियां माता पार्वती की बहनें हैं तो कुछ दुर्गा, काली और सती का ही रूप हैं। माता सती राजा दक्ष की पुत्री थीं। राजा दक्ष की और भी पुत्रियां थीं जो सभी देवियां थीं। माता पार्वती की पुत्रियां भी हैं जिनकी भी पूजा होती है, जैसे मनसा देवी, अशोकसुंदरी आदि।
6. नवरात्रि में माता अंबा दुर्गा, चामुंडा, तुलजा भवानी, माता पर्वती, वैष्णोदेवी, विंध्यवासिनी, मनसादेवी, नैनादेवी, कालिका, कात्यायिनी आदि देवी के रूपों की पूजा होती है।


Tags:    

Similar News

-->