जानिए बसंत पंचमी का दिन किन-किन कामों के लिए शुभ माना जाता है

इस बार बसंत पंचमी 5 फरवरी को मनाई जाएगी. ये दिन कई कारणों से काफी शुभ माना जाता है. तमाम कामों को पूरा करने के लिए लोग खासतौर पर बसंत पंचमी का इंतजार करते हैं. जानिए बसंत पंचमी के दिन कौन कौन से काम किए जा सकते हैं.

Update: 2022-02-03 02:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बसंत पंचमी आने में दो ही दिन बाकी है. हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व (Basant Panchami Festival) मनाया जाता है. इस बार बसंत पंचमी 5 फरवरी को शनिवार के​ दिन मनाई जाएगी. ये दिन शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है. इस दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, बसंत ऋतु को स्वयं श्रीकृष्ण ने अपना रूप बताया है. वहीं माता सरस्वती (Mata Saraswati) भी बसंत पंचमी के दिन ही प्रकट हुई थीं. इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है. बेहद शुभ दिन होने के कारण कई तरह के शुभ काम खासतौर पर इसी दिन किए जाते हैं. जानिए बसंत पंचमी का दिन किन-किन कामों के लिए शुभ माना जाता है.

बसंत पंचमी के दिन होता है अबूझ मुहूर्त
शादी विवाह के लिहाज से बसंत पंचमी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है. यानी बसंत पंचमी के दिन कोई भी विवाह बगैर किसी संशय के किया जा सकता है. आपको इसके लिए किसी ज्योतिषाचार्य से शुभ मुहूर्त निकलवाने की जरूरत नहीं होती. ये पूरा दिन ही अत्यंत शुभ होता है.
इन कामों के लिए भी है काफी शुभ
बसंत पंचमी का दिन बच्चों के नामकरण संस्कार के लिए या मुंडन के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है. वहीं अगर आप गृह प्रवेश के लिए शुभ तिथि का इंतजार कर रहे हैं, तो भी बसंत पंचमी बहुत ही शुभ दिन है. इसके अलावा प्लॉट, फ्लैट, मकान, वाहन आदि की खरीदारी के लिए भी ये दिन काफी शुभ माना जाता है.
बच्चों की शिक्षा के लिए
माता सरस्वती ज्ञान की देवी कही जाती हैं. इस लिहाज से बसंत पंचमी का दिन विद्यार्थियों के लिए बहुत शुभ है. उन्हें इस दिन माता सरस्वती का पूजन करना चाहिए, इससे उन पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती है. वहीं अगर आप अपने बच्चे की शिक्षा शुरु कराना चाहते हैं तो बसंत पंचमी के दिन कॉपी किताबों का पूजन करें और बच्चे के हाथ से अक्षर बनवाएं. इससे बच्चा कुशाग्र बुद्धि का बनता है.
संगीत प्रेमियों के लिए
जो लोग संगीत के क्षेत्र से जुड़े हैं, उनके लिए भी बसंत पंचमी का दिन बहुत ही खास है क्योंकि माता सरस्वती संगीत की देवी भी कहलाती हैं. इस दिन संगीत प्रेमियों को माता सरस्वती का पूजन करने के बाद अपने वाद्य यंत्र का पूजन करना चाहिए.


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