जानें शनि अमावस्या का महत्व,उपाय और मंत्रों के बारे में...
मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पंचांग गणना के अनुसार आज , 04 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि पड़ रही है। इसके साथ ही शनिवार का दिन पड़ रहा है। इस संयोग को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही इस दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। ज्योतिषशास्त्र में शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण के संयोग का अति विशिष्ट माना जाता है। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व होता है।साथ ही जो लोग शनि की साढ़े साती और ढैय्या से परेशान हो उन्हें इस दिन कुछ विशेष उपाय करने चाहिए। आइए जानते हैं शनि अमावस्या का महत्व,उपाय और मंत्रों के बारे में.....
शनि अमावस्या का महत्व
शनिदेव को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर दण्ड और फल प्रदान करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव का जन्म अमावस्या तिथि पर शनिवार के दिन ही हुआ था। उनके नाम के कारण ही इस दिन को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सूर्य देव शनिदेव के पिता हैं लेकिन उनकी उपेक्षा के कारण शनिदेव उनसे नारज रहते हैं।ऐसे में शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण का संयोग अति विशिष्ट माना जाता है। इस दिन शनि पूजा करने से कुण्डली में व्याप्त शनिदोष समाप्त होता है।
शनि अमावस्या के उपाय
जिन लोगों की कुण्डली में शनिदोष व्याप्त हो उन्हें शनि अमावस्या के दिन शनिदेव के मंदिर जाकर काले तिल और सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें। इस दिन शनिमंदिर में जाकर सरसों के तेल दिया जला कर उनके बीज मंत्र का जाप करें। इस दिन पीपल के पेड़ पर काले तिल और जल अर्पित करने से भी शनिदोष दूर होता है।
शनिदेव के पूजन के मंत्र
1. शनिदेव का बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
2. सामान्य मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
3. शनि महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥