जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में...
होली का त्योहार हर वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह को मनाया जाता है। देश में होली के त्योहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक। होली का त्योहार हर वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह को मनाया जाता है। देश में होली के त्योहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार होली का पर्व 18 मार्च को मनाया जाएगा। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है फिर इसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है जिसे धुलेंडी और धूलि भी कहा जाता है। होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है। जिसमें किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तिथि तक को होलाष्टक माना गया है। आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में...
होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन का आयोजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन करने के समय का विशेष ध्यान दिया जाता है। होलिका दहन उस समय किया जाता जब भद्रा का साया न हो। मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च, गुरुवार की रात 09 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। हालांकि इस दौरान भद्रा की पूंछ मौजूद रहेगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्रा पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है। इसमें किसी भी तरह का कोई दोष नहीं होता है। ऐसे में 17 मार्च 2022 की रात्रि को 09 बजकर 20 मिनट से होलिका दहन किया जा सकता है। भद्रा का समापन रात 01 बजकर 12 मिनट पर होगा।
होलिका दहन मुहूर्त
होलिका दहन मुहूर्त : 21:20 मिनट से लेकर 22:31 मिनट तक
अवधि :1 घंटे 10 मिनट
भद्रा पुँछा : 21:20 से 22:31: मिनट तक
भद्रा मुखा : 22:31 से 00:28:13 मिनट तक
होली- 18 मार्च 2022
18 मार्च को रंगों की होली
होलिका दहन के अगले दिन अबीर-गुलाल और रंगों से होली खेली जाएगी। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 17 मार्च को दोपहर करीब 01 बजकर 30 मिनट पर हो जाएगी जिसका समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगा।