जानिए संकष्टी चतुर्थी के मुहूर्त, चंद्रोदय अर्घ्य समय, व्रत और पूजा विधि के बारे में

आज सावन की संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) है, जिसे गजानन संकष्टी चतुर्थी कहते हैं.

Update: 2022-07-16 05:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज सावन की संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) है, जिसे गजानन संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. आज की संकष्टी चतुर्थी व्रत आयुष्मान और सौभाग्य योग में है, जो कार्यों में सफलता प्रदान करने वाली है. आज दोपहर से चतुर्थी तिथि लग रही है और व्रत की पूजा के लिए चंद्रोदय का समय आज ही है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी व्रत आज रखा जा रहा है. आज के दिन गणेश जी के गजानन स्वरूप की पूजा करते हैं और रात के समय में चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं संकष्टी चतुर्थी के मुहूर्त, चंद्रोदय अर्घ्य समय, व्रत और पूजा विधि के बारे में.

गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत 2022 मुहूर्त
सावन कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: आज, दोपहर 01 बजकर 27 मिनट से
सावन कृष्ण चतुर्थी तिथि का समापन: कल, सुबह 10 बजकर 49 मिनट पर
चतुर्थी पर आयुष्मान योग: सुबह से लेकर रात 08 बजकर 50 मिनट तक
चतुर्थी पर सौभाग्य योग: आज रात 08 बजकर 50 मिनट से कल शाम 05 बजकर 49 मिनट
आज का शुभ समय: दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक
गजानन संकष्टी चतुर्थी का अर्घ्य समय: आज रात 09 बजकर 49 मिनट से, चंद्रोदय होने पर
संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें. उसके बाद पूजा घर की साफ सफाइे कर लें. फिर हाथ में जल, अक्षत् और पुष्प लेकर संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा का संकल्प करें.
2. इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें. फिर गणेश जी का जल से अभिषेक कर वस्त्र अर्पित करें. उनको चंदन से तिलक लगाएं.
3. लाल फूल, अक्षत्, फल, दूर्वा, पान का पत्ता, सुपारी, धूप, दीप, गंध, इलायची आदि अर्पित करें. फिर मोदक या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. इसके बाद गणेश चालीसा और संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें. तुलसी न चढ़ाएं.
4. यदि गणेश मंत्र का जाप करना चाहते हैं, तो इस समय कर लें. फिर पूजा का समापन गणेश जी की आरती से करें. इसके लिए घी का दीपक जलाएं.
5. दिनभर फलाहार और भक्ति-भजन में समय व्यतीत करें. फिर रात के समय चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा करें. उनको एक पात्र में जल, अक्षत्, दूध, शक्कर और फूल डालकर अर्घ्य दें.
6. चंद्र देव की पूजा के बाद गणेश जी से प्रार्थना करें कि आपके जीवन के संकट दूर हों और सुख, सभौग्य एवं समृद्धि प्राप्त हो.
7. सबसे अंत में मीठा भोजन करके व्रत का पारण कर लें. कई स्थानों पर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण होता है. आपके यहां जब पारण का विधान है, उस समय पारण करके व्रत को पूरा करें.
Tags:    

Similar News

-->