जानिए कजरी तीज की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत रखा जाता है।

Update: 2022-06-19 06:26 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। इस बार यह व्रत 14 अगस्त दिन रविवार को मनाया जाएगा। अलग-अलग जगहों पर इस व्रत को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे कजरी तीज, कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज आदि। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत के रूप में रखती हैं। कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और नीमड़ी माता की पूजा आराधना करती हैं। अपने पति और परिवार की सुख समृद्धि की मनोकामना के लिए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। यह व्रत बिल्कुल हरतालिका तीज की तरह होता है। कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखकर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं। आइए जानते हैं कजरी तीज की तिथि पूजा मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

कजरी तीज तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार कजरी तीज भद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 14 अगस्त दिन रविवार को रखा जाएगा।
कजरी तीज तिथि प्रारंभ: 13 अगस्त, शनिवार, रात्रि12:53 मिनट से
कजरी तीज तिथि समाप्त: 14 अगस्त, रविवार, रात्रि 10:35 मिनट पर
कजरी तीज क्यों मनाते हैं?
कजरी तीज महिलाओं के लिए खास त्योहार है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना निर्जला रह कर करती हैं। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करने से पति की लंबी आयु होती है। कुंवारी कन्या यदि इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करें, तो उन्हें मनचाहा पति मिल सकता है।
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज का व्रत रखकर पति की सफलता और लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है। सुहागिन स्त्रियां इस व्रत का पूरे साल इंतजार करती हैं। इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती जी की पूजा की जाती है।
कजरी तीज पूजा विधि
कजरी तीज के दिन माता पार्वती के रूप में नीमड़ी माता की पूजा की जाती है।
कजरी तीज के दिन महिलाएं स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर मां का स्मरण करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें।
घर में सही दिशा का चुनाव करके मिट्टी या गोबर से एक तालाब जैसा छोटा घेरा बना लें।
गोबर या मिट्टी से बने उस घेरे में कच्चा दूध या जल भर लें और उसके एक किनारे पर दीपक जला लें।
इसके बाद एक थाल में ऊपर बताई गई पूजन सामग्री केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि समान रखें।
बनाए हुए घेरे के एक किनारे पर नीम की एक डाल तोड़कर लगाएं और नीम की टहनी पर चुन्नी ओढ़ाएं।
इसके बाद नीमड़ी माता की पूजा करें।
करवा चौथ के व्रत की तरह रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें।
माता नीमड़ी को भोग लगाकर अपने व्रत का पारण करें।
Tags:    

Similar News

-->