जानिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के बारे में और किन राशि वालों को यह पहनना चाहिए…
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार रुद्राक्ष के जन्मदाता स्वयं भगवान शिव को माना जाता है। इसका प्रमाण स्कन्द पुराण, शिव पुराण आदि ग्रन्थों में मिलता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार रुद्राक्ष के जन्मदाता स्वयं भगवान शिव को माना जाता है। इसका प्रमाण स्कन्द पुराण, शिव पुराण आदि ग्रन्थों में मिलता है। माना जाता है रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है और इनको प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना गया है।
यहां हम बात करने जा रहे हैं ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के बारे में, जिसका संबंध मंगल ग्रह और हनुमान जी से है। आइए जानते हैं ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के बारे में और किन राशि वालों को यह पहनना चाहिए और इनकी पहचान…
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का महत्व और लाभ:
जन्मकुंडली में जब मंगल ग्रह खराब होते हैं तो व्यक्ति गुस्सैल और चिड़चिड़ा हो जाता है। साथ ही उसकी शादी होने में दिक्कते आती हैं। खून से संबंधित परेशानी हो जाती है। वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि आपके साथ भी ऐसा ही कुछ है तो इस समस्या से मुक्ति और सुखी वैवाहिक पाने के लिए 11 मुखी रूद्राक्ष मंगलवार के दिन सफेद धागे में गले में धारण करें। इस 11 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति के अंदर नेतृत्व गुणों का विकास होता है, यानी ये व्यक्ति को नेतृत्व की क्षमता प्रदान करता है।
इन लोगों के लिए रहता है अत्यंत लाभकारी:
वैसे तो 11 मुखी रुद्राक्ष कोई भी धारण कर सकता है। लेकिन 11 मुखी रुद्राक्ष का संबंध मंगल देव से है। इसलिए मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए यह धारण करना ज्यादा लाभकारी रहता है। या जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह नकारात्मक या अशुभ स्थिति में विराजमान है तो वो लोग भी 11 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। अगर 11 मुखी रुद्राक्ष को 3, 5, 10 और 12 मुखी रुद्राक्ष के एक-एक दाने के साथ संयोग बनवाकर पहना जाये, तो इससे नवग्रह शांति होती है।
11 मुखी रुद्राक्ष की पहचान: आपको बता दें कि 11 मुखी रुद्राक्ष में 11 धारियां होती हैं। ये धारियां स्पष्ट नजर आनी चाहिए। तब ही रुद्राक्ष को असली माना जाता है। वैसे सबसे अच्छा 11 मुखी रुद्राक्ष नेपाल का आता है। लेकिन इंडोनेशिया का भी रुद्राक्ष भी खरीदा जा सकता है। क्योंकि वह क्वालिटी मामले में दूसरे नंबर पर आता है।