जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन धर्म में पूजी जाने वाली तुलसी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इसका जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही महत्व आयुर्वेद में भी है. तुलसी (Tulsi) को तोड़ने, जल चढ़ाने और पूजा करने के भी कई नियम धार्मिक ग्रंथों में देखने को मिलते हैं. शिव परिवार को छोड़कर लगभग हर हिंदू देवी-देवता की पूजा में तुलसी का उपयोग किया जाता है. मान्यता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है. वे भगवान विष्णु को अति प्रिय होती है, इसलिए उनकी पूजा बिना तुलसी भोग के अधूरी मानी जाती है. भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहें हैं कि तुलसी में जल अर्पित करते समय मंत्र का उच्चारण करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
तुलसी के पौधे में जल देने के 5 नियम
1. तुलसी में जल अर्पित करने से पहले साधक को किसी भी तरह का अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए.
2. तुलसी में सूर्योदय के समय जल अर्पित करना सर्वोत्तम माना जाता है. इस बात का विशेष ध्यान दें कि तुलसी के पौधे में जरूरत से ज्यादा जल नहीं अर्पित करना चाहिए.
3. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, तुलसी में जल अर्पित करते समय बिना सिला कपड़ा पहनने की सलाह दी जाती है.
4. रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल अर्पित नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि एकादशी के दिन तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
5. किसी भी व्यक्ति को बिना नहाए तुलसी में जल नहीं अर्पित करना चाहिए.
इन 3 बातों का रखें ध्यान
– तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है, इसलिए तुलसी के पत्ते तोड़ते समय हमेशा हाथ जोड़कर पहले उनसे अनुमति लेना बहुत जरूरी है.
– तुलसी के पत्तों को चाकू, कैची या नाखून की मदद से नहीं तोड़ना चाहिए.
– तुलसी के पत्तों को बिना किसी आवश्यक कारण के नहीं तोड़ना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है.
तुलसी में जल अर्पित करने का मंत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भी आप तुलसी में जल अर्पित करें, मंत्र का उच्चारण जरूर करें. इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है, साथ ही स्वास्थ लाभ भी होता है.
तुलसी मंत्र
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी।
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।