धर्म को लेकर उनकी सोच समतावाद से प्रेरित निडर योद्धा राजा छत्रसाल की 5 बड़ी बाते जानिए
हम इस बुंदेल राजा के बारे में 5 ऐसे मजेदार फैक्ट लेकर आए हैं जिनके बारे में लोगों को शायद ही पता होगा:
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- इतिहास के कई ऐसे अध्याय हैं जिनमें महान युद्धों को भुला दिया गया है. दरअसल उनमें से कुछ युद्ध ऐसे हैं जिन्होंने हमारा वर्तमान गढ़ा है. ऐसी ही एक कहानी है बुंदेलखंड के रक्षक छत्रसाल (Chhatrasal) की जिन्होंने 16वीं सदी के मध्य में मुगल बादशाह औरंगजेब के आतंकी शासन को चुनौती दी थी और अपने साम्राज्य को आजाद कराने के लिये तेजी से फैलते मुगल शासन के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था.
एमएक्स प्लेयर ने अपने शो 'छत्रसाल' के माध्यम से इस निडर शासक की कहानी को परदे पर उतारा है. यह अपने तरह का पहला ऐसा ऐतिहासिक ड्रामा है, जो बुंदेलखंड के गुमनाम योद्धा राजा छत्रसाल (जितिन गुलाटी) के जीवन पर आधारित है. उन्होंने खौफनाक बादशाह औरंगजेब (आशुतोष राणा) को ललकारा था.
हम इस बुंदेल राजा के बारे में 5 ऐसे मजेदार फैक्ट लेकर आए हैं जिनके बारे में लोगों को शायद ही पता होगा:
1. एक शासक के तौर पर वह अपने समय से आगे थे- उन्होंने अपने साम्राज्य में कई सारे बदलाव किये थे। 16वीं सदी/17वीं सदी के शुरूआत में महिला पुजारियों को उनकी स्वीकार्यता, नहर प्रणाली और पंचायती राज जैसी चीजों को लेकर आना उनकी अग्रणी सोच को दर्शाता है. धर्म को लेकर उनकी सोच समतावाद से प्रेरित हैं. इस साम्राज्य में अब तक जितने भी शासक हुए उनमें वे सबसे निडर और सबसे आध्यात्मिक शासकों में से एक हैं.
2. वे मस्तानी के पिता थे और पेशवा बाजी राव I को अपना पुत्र मानते थे : छत्रसाल ने अपनी बेटी मस्तानी का हाथ पेशवा- बाजी राव I के हाथ में दिया था. जब पेशवा ने मुहम्मद खान बंगश को पराजित करने में उनकी मदद की थी, उसके बाद से वे उन्हें अपना पुत्र मानने लगे थे.
3. छत्रसाल बुंदेलखंड की पहचान का हिस्सा हैं – आज छत्रसाल के नाम पर सड़कें, कॉलेज और यहां तक कि विश्वविद्यालयों के नाम हैं. छतरपुर शहर का नाम भी इस बहादुर महाराज के नाम पर पड़ा है. नॉर्थ दिल्ली का मशहूर रेसलिंग स्टेडियम 'छत्रसाल स्टेडियम' भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है. हाल ही में यह स्टेडियम चर्चाओं में छाया हुआ था जब सुशील कुमार पर इसी छत्रसाल स्टेडियम में 23 वर्षीय रेसलर की हुई हत्या में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
4. उन्हें हीरों के साम्राज्य का वरदान मिला था- छत्रसाल, स्वामी प्राणनाथ जी के परम शिष्य थे. स्थानीय लोकथाओं के अनुसार, छत्रसाल को यह वरदान मिला था कि उनके साम्राज्य में हीरे मिलेंगे. उन्होंने पन्ना को अपनी राजधानी बनाया और अंतत: मशहूर हीरे की खान पन्ना की खोज की. ऐसा कहा जाता है कि उनकी वजह से ही छत्रसाल समृद्ध हुए थे. आज भी बुंदेलखंड और देश के कई हिस्सों में स्वामी प्राणनाथ जी की पूजा की जाती है.
5. मुगलों के खिलाफ वे एक भी युद्ध नहीं हारे- वीर छत्रसाल ने 52 युद्ध लड़े और एक भी युद्ध में उन्हें हार नहीं मिली. उन्हें अपनी प्रबल इच्छाशक्ति, सम्मान और अपनी धरती के प्रति प्यार के लिये सराहा जाता है.
छत्रसाल बुंदेलखंड की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और आज भी युवाओं की प्रेरणा हैं
इस शो को अनादि चतुर्वेदी ने निर्देशित किया है और इस कहानी की सूत्रधार हैं सदाबहार अभिनेत्री नीना गुप्ता. उनके साथ वैभवी शांडिल्य, मनीष वाधवा, अनुष्का लुहार, रुद्र सोनी भी मुख्य भूमिकाओं में हैं.