हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता हैं लेकिन कालाष्टमी का व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि भगवान शिव को रौद्र रूप की पूजा अर्चना को समर्पित हैं कालाष्टमी वैसे तो हर माह में आती हैं लेकिन अधिक मास में पड़ने वाली कालाष्टमी का अपना महत्व होता हैं क्योंकि यह तीन साल में एक बार पड़ती हैं इस दिन भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और भगवान कालभैरव की विधि विधान से पूजा करते हैं।
माना जाता हैं कि इस दिन व्रत पूजन करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती हैं और कष्टों में कमी आती हैं। इस बार की कालाष्टमी आज यानी 8 अगस्त दिन मंगलवार को मनाई जा रही हैं इसी दिन मंगला गौरी व्रत पूजन भी किया जा रहा हैं माना जाता हैं कि कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा की आराधना व व्रत करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता हैं साथ ही कष्टों में भी कमी आती हैं ऐसे में आज हम आपको भगवान भैरव की पूजा विधि के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
कालाष्टमी पर इस विधि से करें कालभैरव की पूजा—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कालभेरव की पूजा निशिता काल मुहूर्त में करना शुभ माना जाता हैं लेकिन गृहस्थ जीवन वालें इस दिन शिवलिंग पर लाल चंदन से ऊं खिलकर बेलपत्र अर्पित करें और विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करें।
इसके अलावा नकारात्मक शक्तियों और बुरी बलाओं से मुक्ति के लिए कालाष्टमी के दिन ॐ कालभैरवाय नम: का जाप करें और कालभैरवाष्टक का संपूर्ण पाठ करें। ऐसा करने से लाभ मिलता हैं। इसके अलावा भैरव बाबा की पूजा के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं काला तिल, काले वस्त्र, इमरती, जलेबी का दान गरीबों को करें ऐसा करने से भी लाभ मिलता हैं।