Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के सही नियम

Update: 2024-11-17 04:01 GMT
Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन लोगों को व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. वरना लोगों का व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है|
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवंबर की शाम 6 बजकर 55 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी 19 नवंबर दोपहर की शाम 5 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 नवंबर को रखा जाएगा. इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. ऐसे में चन्द्रोदय 18 नवंबर की शाम 7 बजकर 34 मिनट पर होगा|
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या करें
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से करें.
गणेश जी को मोदक, दूध, फल आदि अर्पित करें.
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखें और व्रत के दौरान एक समय भोजन करें.
गणेश मंत्र का जाप करें और गरीबों को दान करें.
गणेश पुराण का पाठ करें.
संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या नहीं करें:
लहसुन और प्याज: इस दिन लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए.
मांसाहार: मांसाहार का सेवन भी वर्जित है.
अनाज: कुछ लोग चावल का सेवन नहीं करते हैं.
नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से दूर रहें.
झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचें.
किसी को दुःख ना दें: किसी को दुख देकर कष्ट न दें.
संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या खाएं:
फल, दूध, दही, कुट्टू का आटा, साबूदाना, सिंघाड़ा, मखाना,
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं. इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है और जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है|
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