Jagannath Rath Yatra : जगन्नाथ रथ यात्रा ,जानें क्या है नेत्र उत्सव

Update: 2024-06-26 07:50 GMT
Jagannath Rath Yatra ज्योतिष न्यूज़  : भगवान जगन्नाथ को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक स्वरूप माना गया है इनकी पूजा आराधना जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि तिथि पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आरंभ होता है।
इस रथ यात्रा में भगवान श्री जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र रथ में सवार होकर अपनी मौसी के घरगुंडिचा मंदिर तक जाते हैं इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई से आरंभ होगी और इसका समापन 16 जुलाई को हो जाएगा। यह यात्रा पुरी में होती है जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले कई अनुष्ठान व परंपराएं होती है जिसमें नेत्र उत्सव भी शामिल है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इसी के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं क्या होता है नेत्र उत्सव।
जानिए क्या है नेत्र उत्सव—
आपको बता दें कि सबसे पहले भगवान जगन्नाथ को देवस्नान कराया जाता है जिसके 14 दिनों के बाद यानी 15वें दिन पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रभु के मंदिर के कपाट खोले जाते हैं इस कपाट खुलने और भगवान के दर्शन के अवसर पर विशेष रूप से नेत्रोत्सव का जश्न मनाया जाता है इस नेत्र उत्सव अनुष्ठान में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र को नए नेत्र प्रदान किए जाते हैं जिसके बाद सभी भक्त भगवान के पहली बार दर्शन प्राप्त करते हैं
नेत्र उत्सव के बाद से ही पूरे विश्व में जगन्नाथ रथ यात्रा का पावन पर्व आरंभ हो जाता है। इस रथ यात्रा के उत्सव में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के लिए विशाल और भव्य रथ तैयार किया जाता है ​इस रथ पर सवार होकर तीनों देव भ्रमण के लिए जाते है। भगवान के इस रथ को मंदिर से निकाला जाता है और इस विशाल रथ को सभी भक्त व श्रद्धालुओं की भीड़ खींचती है माना जाता है जिन भक्तों को प्रभु के रथ खींचने का अवसर प्राप्त होता है उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: भगवान जगन्नाथ को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक स्वरूप माना गया है इनकी पूजा आराधना जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि तिथि पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आरंभ होता है।
इस रथ यात्रा में भगवान श्री जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र रथ में सवार होकर अपनी मौसी के घरगुंडिचा मंदिर तक जाते हैं इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई से आरंभ होगी और इसका समापन 16 जुलाई को हो जाएगा। यह यात्रा पुरी में होती है जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले कई अनुष्ठान व परंपराएं होती है जिसमें नेत्र उत्सव भी शामिल है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इसी के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं क्या होता है नेत्र उत्सव।
जानिए क्या है नेत्र उत्सव—
आपको बता दें कि सबसे पहले भगवान जगन्नाथ को देवस्नान कराया जाता है जिसके 14 दिनों के बाद यानी 15वें दिन पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रभु के मंदिर के कपाट खोले जाते हैं इस कपाट खुलने और भगवान के दर्शन के अवसर पर विशेष रूप से नेत्रोत्सव का जश्न मनाया जाता है इस नेत्र उत्सव अनुष्ठान में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र को नए नेत्र प्रदान किए जाते हैं जिसके बाद सभी भक्त भगवान के पहली बार दर्शन प्राप्त करते हैं
नेत्र उत्सव के बाद से ही पूरे विश्व में जगन्नाथ रथ यात्रा का पावन पर्व आरंभ हो जाता है। इस रथ यात्रा के उत्सव में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के लिए विशाल और भव्य रथ तैयार किया जाता है ​इस रथ पर सवार होकर तीनों देव भ्रमण के लिए जाते है। भगवान के इस रथ को मंदिर से निकाला जाता है और इस विशाल रथ को सभी भक्त व श्रद्धालुओं की भीड़ खींचती है माना जाता है जिन भक्तों को प्रभु के रथ खींचने का अवसर प्राप्त होता है उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
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