Jagannath Puri Rath Yatra 2024: जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा आज से प्रारंभ, जानिए महत्व

Update: 2024-07-07 02:44 GMT
Jagannath Puri Rath Yatra 2024: आस्था के मानक 'जगन्नाथ रथ यात्रा 2024' की शुरुआत आज से हुई है। इस यात्रा का इंतजार भक्तों को बेसब्री से होता है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर ये यात्रा निकाली जाती है। इस पवित्र यात्रा में शामिल होने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं। माना जाता है कि भगवान कृष्ण भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर निवास करते हैं, इसलिए इन्हें श्री हरि का 'हृदय' भी कहा जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2024: तिथि और समय द्वितीया तिथि प्रारंभ - 07 जुलाई, 2024 - 04:26 AM द्वितीया तिथि समाप्त - 08 जुलाई, 2024 - 04:59 AM 17 जुलाई को रथयात्रा समाप्त हो जाएगी।
इस यात्रा में तीन भाई-बहनों यानि कि भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा की रथयात्रा निकाली जाती है। कहते हैं कि जो कोई भी रथ यात्रा का रथ खींचता है उसके सारे पापों का खात्मा होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है,उसका घर-आंगन हमेशा खुशियों से भरा रहता है। इस यात्रा में शामिल होने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना कि 1000 यज्ञ को कराने से हासिल होता है। रथों को खींचकर तीन किमी दूर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है, जहां दस दिनों तक भगवान मेहमान बनकर रहते हैं और दसवें वापस अपने धाम लौट जाते हैं।
रथयात्रा के दौरान पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर को अलग-अलग फूलों, रंगोली और रोशनी से सजाया जाता है। जगन्नाथ पुरी के उत्सव की शुरुआत 12वीं सदी में हुई थी। यह मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और ये हिन्दुओं के चार धाम में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है।
रथयात्रा में निकलते हैं तीन रथ, तीनों के अलग-अलग नाम होते हैं
यात्रा वाले रथ बहुत ज्यादा सुंदर होते हैं। सबसे आगे भाई बलराम का रथ होता है, बीच में बहन सुभद्रा का और सबसे पीछे प्रभु जगन्नाथ का। बलराम के रथ को 'तालध्वज', मां सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या 'पद्म रथ' और भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहते हैं। जिस वक्त रथयात्रा होती है, वो पल बहुत ही अलौकिक होता है, इस दौरान भक्तगण ढोल, नगाड़ों, तुरही की ध्वनि पर जमकर थिरकते हैं और उत्सव मनाते हैं।
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