इन 3 जगहों पर पिंडदान-तर्पण करना सर्वोत्तम, जानिए पूर्वजों को सीधे मिलता है मोक्ष

पितरों की आत्मा की शांति के लिए हर साल पितृ पक्ष में लोग श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. इस काम के लिए 3 जगहों को सबसे उत्तम माना गया है.

Update: 2021-09-12 05:08 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) शुरू होता है जो 15 दिन बाद पड़ने वाली आश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है. इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर 2021 तक रहेगा. पितृ पक्ष में पूर्वजों (Ancestors) की आत्‍मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान (Shradh-Pind Daan) किया जाता है. ताकि पूर्वजों के आशीर्वाद से वंश फल-फूले, तरक्‍की मिले.

श्राद्ध और पिंडदान के लिए हमारे देश में 3 जगहों को उत्‍तम बताया गया है. कहते हैं इन पवित्र जगहों पर तर्पण, पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है. हर साल देश-विदेश से लोग यहां अपनों की आत्‍मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण-पिंडदान करने के लिए आते हैं.
इन जगहों पर पिंडदान करना सर्वोत्तम
गया (बिहार): मान्‍यता है कि बिहार राज्‍य के गया (Gaya) जिले में फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्‍मा को शांति मिलती है. इसके अलावा परिजन की मौत के तुरंत बाद पिंडदान करने के लिए भी गया जाते हैं, ताकि मृत आत्‍मा मृत्‍यलोक में न भटके और सीधे बैकुंठ में जाए.
ब्रह्मकपाल (उत्तराखंड): अलकनंदा नदी के किनारे बसे ब्रह्मकपाल (Brahmakapal) को श्राद्ध करने के लिए सबसे पवित्र माना गया है. यह जगह बद्रीनाथ के करीब ही है. कहते हैं कि यहां पर श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करने से पितृ तृप्‍त होते हैं और उन्‍हें स्‍वर्ग मिलता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक पांडवों ने भी अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए यहीं पिंडदान और श्राद्ध किया था.
नारायणी शिला (हरिद्वार): कहते हैं कि हरिद्वार में नारायणी शिला (Narayani Shila) के पास पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है. मान्‍यता है कि हरिद्वार में भगवान विष्णु और महादेव दोनों ही निवास करते हैं.


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