शिव पुराण में अक्षम्‍य पाप की श्रेणी में रखा गया है इन्‍हें, जानें क्या न करें?

हिंदू धर्म का चित्रण करने वाले पुराण और ग्रंथ हमें सही रास्‍ता दिखाते हैं

Update: 2021-03-09 15:57 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  हिंदू धर्म का चित्रण करने वाले पुराण और ग्रंथ हमें सही रास्‍ता दिखाते हैं और हमारे सभी अच्‍छे और बुरे कर्मों के बारे में बताते हैं। इसी प्रकार से शिव पुराण में ऐसी बातों के बारे में बताया गया है कि जो अक्‍सर मनुष्‍य भूलवश या फिर जानबूझकर कर बैठता है और इन्हें पाप माना जाता है। आज हम आपको ऐसी 5 बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्‍हें शिव पुराण में अक्षम्‍य पाप की श्रेणी में रखा गया है। आइए आपको बताते हैं ये 5 बातें…

गर्भवती महिला के साथ न करें ऐसा
शिव पुराण के अनुसार, किसी गर्भवती महिला या फिर मासिक धर्म से गुजर रही महिला को कभी भी कटु वचन नहीं बोलना चाहिए। किसी महिला को कटु वचन कहना या अपनी बातों से उनका दिल दुखाना शिव की नजरों में अक्षम्य अपराध और पाप है। ऐसा काम करने वाले लोगों को नरक की सजा भोगनी पड़ती है।
सम्‍मान को हानि पहुंचाना
हमें भूल से भी किसी के सम्‍मान को हानि नहीं पहुंचानी चाहिए और न ही किसी का दिल दुखाना चाहिए। किसी के सम्मान को हानि पहुंचाने की नीयत से झूठ बोलना छल की श्रेणी में आता है और अक्षम्य पाप का भागीदार बनाता है। भूलकर भी हमें कभी किसी का मजाक बनाकर उसका दिल नहीं दुखाना चाहिए।
बुजुर्गों के साथ न करें ऐसा
हमें अपने घर के बुजुर्गों के साथ कभी ऐसा नहीं करना चाहिए कि उनका अपमान हो या फिर दिल दुखे। इसके साथ ही हमें कभी भी उन लोगों का दिल नहीं दुखाना चाहिए जो कि हम पर ही आश्रित हों। ऐसे लोगों को कष्‍ट देने का अर्थ है कि उनकी आत्‍मा को ठेस पहुंचाना। शिव पुराण में इसे घोर पाप की श्रेणी में रखा गया है। हमें कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिए।
ऐसी चीजें न खाएं
शिव पुराण में बताया गया है कि धर्म का आचरण करने वालों को कभी भी जीव हत्‍या करके पाए गए भोजन को ग्रहण नहीं करना चाहिए। ऐसा भोजन विष्‍ठा के समान माना गया है और ऐसे लोगों को कभी भी भगवान शिव क्षमा नहीं करते हैं और उन्‍हें मरणोपरांत नरक भोगना पड़ता है। धर्म अनुसार मना की गई चीजें खाना या धर्म के विपरीत कार्य करना किसी हाल में व्यक्त के लिए स्वीकार्य नहीं होना चाहिए, वरना आप भगवान शिव की नजरों में हमेशा ही अपराधी रहेंगे।
इनके प्रति हिंसा पाप
बच्चों, महिलाओं या किसी भी कमजोर जीव के खिलाफ हिंसा और असामाजिक कार्यों में लिप्तता मनुष्य को पाप का दोषी बनाता है। शिव पुराण में बताया गया है कि अपने से कमजोर पर कभी भी हाथ नहीं उठाना चाहिए। ऐसा करना शिव पुराण में दंडनीय अपराध माना गया है। ऐसे लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी दंड भोगना ही पड़ता है।


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