सनातन धर्म में हर एक चीज़ को लेकर नियम और उसके महत्व के बारे में बताया गया हैं। शास्त्रों की मानें तो देवी मां अन्नपूर्णा को भोजन और पोषण की देवी माना गया हैं मान्यता है कि जिन पर देवी मां की कृपा बनी रहती हैं उसे कभी भी अन्न की कमी झेलनी नहीं पड़ती हैं।
लेकिन जो लोग अन्न का अपमान करते हैं उन्हें सदा ही माता अन्नपूर्णा के क्रोध का सामना करना पड़ता हैं। धार्मिक शास्त्रों में भोजन ग्रहण करने व परोसने को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिसका पालन करने से देवी मां प्रसन्न हो जाती हैं लेकिन अनदेखी जातक को दाने दाने का मोहताज कर देती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भोजन ग्रहण करने व परोसने से जुड़े जरूरी नियम के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
भोजन परोसने व ग्रहण करने के नियम—
वास्तु और शास्त्रों की मानें तो कभी भी अपने सोने के स्थान यानी बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता हैं अगर कोई ऐसा करता हैं तो उसके मन में नकारात्मकता पैदा होती हैं साथ ही साथ कर्ज के बोझ में भी वृद्धि होने लगती हैं। इसके अलावा भोजन करते वक्त हमेशा ही दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए वरना सेहत पर इसका बुरा असर पड़ता हैं। वास्तु अनुसार भोजन करते वक्त जातक को हमेशा ही अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए भूलकर भी दक्षिण दिशा में मुख करके भोजन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से पेट संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता हैं।
वास्तु की मानें तो भोजन परोसते वक्त थाली को एक हाथ से नहीं पकड़ना चाहिए इसके स्थान पर आप दोनों हाथों से भोजन की थाली को पकड़े। इसके अलावा ऐसे कई लोग हैं जो भोजन परोसते वक्त थाली में नमक अलग से रख देते हैं और अगर ये नमक भोजन करने के बाद बच जाता है तो इसे ऐसे ही नहीं फेंक देना चाहिए बल्कि इसमें थोड़ा सा पानी डाल देना चाहिए। माना जाता हैं कि नमक को फेंकना या दान करना घर में गरीबी व दरिद्रता लेकर आता हैं साथ ही ये घरेलू कलह की वजह भी बनता हैं।