दिवाली से पहले घर में करा रहे हैं पेंट तो इन वास्तु टिप्स से बढ़ेगी सुख और समृद्धि
वास्तुशास्त्र का हमारे जीवन पर बहुत ही गहरा असर पड़ता है. हमारे वास्तुशास्त्र में रंगों के बारे में खास लिखा गया है. वास्तु के हिसाब से हमारे घर के किस हिस्से का रंग कैसा होना चाहिए, यानी ड्राइंग रूम से लेकर आपके घर किचन, बालकोनी और बैडरुम में आपको किस कलर का पेंट करवाना है ये जान लें. दीवाली आने वाली है, भारत में लोग दीवाली से पहले अपने घर का रंग रोगन करवाते हैं. कहते हैं जो घर सुंदर दिखता है माता लक्ष्मी उस घर में वास करती हैं. तो आप भी चाहते हैं कि आपके घर में सुख समृद्धि आए तो आप इस बार दिवाली से पहले अपने घर का वास्तु अनुसार ही रंग रोगन करवाएं.
बैठने वाले कमरे की दीवारों का रंग (Living Room)
घर में जब भी हम प्रवेश करते हैं, तो सबसे पहले हमारा लिविंग रूम से परिचय होता है। इस जगह के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कलर कुछ ऐसा हो, जो एनर्जी का एहसास दे। लीविंग रूम के लिए सबसे अच्छे कलर्स में आप नीले, हरे और पीले रंग को उपयोग कर सकते हैं। वैसे वास्तु के अनुसार लिविंग रूम के कुछ हिस्से में आप लाल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह उर्जा का एहसास देता है।
खाने के लिए कमरा (Dining Rooms)
डाइनिंग रूम के लिए रंग ऐसा होना चाहिए, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी के साथ-साथ शांत माहौल को दर्शाता हो, ताकि इससे दिमाग और शरीर को आराम मिल सके। इसके लिए आप हरे, पीले और नीले रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बैडरूम की दीवारों का रंग (Bedrooms)
एक व्यक्ति अपना ज्यादा से ज्यादा समय बेडरूम में बिताता है, इसलिए रंगों के मामले में इस जगह पर पूरा ध्यान देना चाहिए। आपको यहां गुलाबी, नीला, हरा, ग्रे और बैगनी जैसे हल्के रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। ये रंग प्यार और खुशी के बारे में बताते हैं, साथ ही यह शांति, सुकून व नींद को भी बढ़ावा देते हैं।
बच्चे के कमरे की दीवारों का रंग (Children’s Rooms)
बच्चों को देखकर चेहरे पर खुशी का एहसास होता है, इसलिए उनके रूम का कलर ऐसा होना चाहिए जो खुशी दे। इसके लिए आप नारंगी, गुलाबी, नीला, हरा और लैवेंडर कलर्स में ब्राइट और वाइब्रेट रंग लगाएं। इस बात का ध्यान दीजिए कि आप बच्चों के कमरे में लाल रंग का ज्यादा इस्तेमाल न करें। यह एक भड़काऊ रंग है, जो बच्चों को तनाव में डाल सकता है।
पढ़ने वाले कमरे की दीवारों का रंग (Study Rooms)
घर में स्टडी रूम ऐसा होना चाहिए, जो खुशी और पोजिटिविटी का एहसास दे। इसके लिए हरा, नीला, लैवेंडर और लाइट पर्पल जैसे कलर्स उपयुक्त हैं। अगर बच्चों का स्टडी टेबल उनके बेडरूम में है, तो उनके कमरे में इन रंगों का जरूर इस्तेमाल करें। ये रंग ध्यान को बढ़ाने और याददाश्त में सुधार करेंगे।
किचन की दीवारों का रंग (Kitchen)
वास्तु के अनुसार किचन के लिए ऐसे बहुत से कलर्स हैं, जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे नारंगी, सफेद, हरा, गुलाबी और पीला।
मेहमान के कमरे की दीवारों का रंग (Guest Room)
अब घर है तो मेहमान भी आएंगे, इसलिए उनके रूम के लिए भी कलर पेंट चुनना आपकी जिम्मेदारी है। आप अपने मेहमान का स्वागत अच्छे से करना चाहते हैं और उन्हें शाही मेहमाननवाजी देना चाहते हैं, तो आप हल्का पीला, नारंगी, लैवेंडर, नीला और हरा रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बाथरुम की दीवारों का रंग
बाथरुम एरिया में सफेद, गुलाबी या हल्का पीला या हल्का आसमानी रंग का यूज़ करने से मन को सुकून मिलता है।
छत का रंग
हमारी छतें प्रकाश को परावर्तित कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं इस कारण से इस स्थान पर ऐसे रंग का प्रयोग करना चाहिए... छत के लिए सबसे बेस्ट कलर है है सफेद या क्रीम।
पूजाघर की दीवारों का रंग
हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि पूजा घर के ईशान कोण में बनाया जाय। यह वह स्थान होता है जहां बैठकर हम सब ध्यान और साधना के माध्यम से अपने मन की शांति तथा इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते है। इसलिए पूजा घर में ऐसे रंग का प्रयोग करना चाहिए जो हमें एकाग्रता प्रदान करे।पूजा घर में गहरे अथवा विभिन्न प्रकार के अलग- अलग रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योकि वह मन को भ्रमित कर सकता है। शांति और एकाग्रता का प्रतीक सफेद, हल्के नीले या पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। आध्यात्मिक रंग गेरुआ व नारंगी का प्रयोग करना शुभ होगा।
घर के बीचोंबीच की जगह को ब्रह्म स्थान कहते हैं.... माना जाता है कि घर के मिडल एरिया में ब्रह्म का निवास होता है इस स्थान में गहरे या भड़कीले भूरा, लाल, नीला, पीला हरा ऐसे रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यहां अन्धेरा नहीं होना चाहिए... इसलिए रोशनी बढ़ाने के लिए सफेद या हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए।