यदि जिंदगी में बुरा वक्त नहीं आता तो अपनों में छुपे हुए गैर और गैरों में छुपे हुए अपने कभी नजर नहीं आते

वो लोग आपका साथ देने के लिए आगे आते हैं जिन्हें आप अपना अच्छा दोस्त भी नहीं समझते

Update: 2021-06-04 10:59 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का विचार गैरों और अपनों पर आधारित है।


आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को खराब समय आने पर ही पता चलता है कि कौन उसका अपना है और कौन पराया। ऐसे वक्त में अक्सर वो लोग आपका साथ छोड़ देते हैं जो आपको अपना कहते थे। जबकि वो लोग आपका साथ देने के लिए आगे आते हैं जिन्हें आप अपना अच्छा दोस्त भी नहीं समझते।
असल जिंदगी में कई ऐसे मौके आते हैं जब मनुष्य को अपनों और परायों का पता चल जाता है। कई बार ऐसा होता है कि आपके सिर ऐसी मुसीबत आती है जब आपको परिवार के उन सदस्यों का साथ चाहिए होता है जिन्हें आप रिश्तेदार कहते हैं। लेकिन सौ में से कुछ ही रिश्तेदार उस वक्त आपका साथ देने के लिए आगे आते हैं। बाकी के रिश्तेदार या तो आपसे सारे संपर्क खत्म कर देते हैं या फिर आपके बारे में जानने के बाद भी मदद करने की हामी नहीं भरते। रिश्तेदारों के इस बर्ताव से बुरा तो जरूर लगता है लेकिन उनका असली चेहरा भी आपके सामने आ जाता है।
वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें आप अपना अच्छा दोस्त कहने पर भी हिचकते थे। ये दोस्त आपका साथ देने के लिए आगे आते हैं। ऐसे में आपको थोड़ा आश्चर्य जरूर हो सकता है। हो सकता है कि मन में कई तरह के सवाल भी आए। लेकिन ये गैर ही आपके अपने हैं जिन्हें आपसे भले ही कोई उम्मीद ना हो, लेकिन आपको मुसीबत में देखकर खुद को रोक नहीं सके। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिंदगी में अगर बुरा वक्त नहीं आता तो अपनों में छुपे हुए गैर और गैरों में छुपे हुए अपने कभी नजर नहीं आते।


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