धर्म अध्यात्म: देवभूमि उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. यहां स्थापित प्राचीन मंदिर व घाट मुख्य आकर्षण का केंद्र है. ऋषिकेश में कई सारे प्राचीन व मान्यताप्राप्त मंदिर स्थापित हैं. हर मंदिर का अपना इतिहास व अपना महत्व है. जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहें हैं वो मंदिर भी ऋषिकेश के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसका इतिहास लगभग 500 से 600 साल पुराना है. इस मंदिर का नाम है प्राचीन सिद्धपीठ गरुण मंदिर.
भगवान गरुण ने की थी तपस्या
लोकल 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान इस मंदिर के पुजारी दिनेश चंद्र भट्ट बताते हैं कि ये प्रचीन सिद्धपीठ गरुण मंदिर ऋषिकेश से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर नीलकंठ मार्ग पर स्थित है. ये मंदिर भगवान नारायण के वाहन भगवान गरुण को समर्पित है. मान्यता है कि प्राचीन काल में गरुण भगवान ने यहां तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने उन्हें दर्शन दिए थे, इसीलिए इस मंदिर का महत्त्व और बड़ जाता है.
प्राचीन सिद्धपीठ गरुण मंदिर का रोचक इतिहास
पंडित दिनेश बताते हैं यह चार धाम मार्ग की 84 चट्टियों में से पहली चट्टी है. जब भगवान नारायण भद्रीनाथ धाम जा रहें थे, तब वे गरुण भगवान को यहीं छोड़ गए थे, क्योंकी वे थक गए थे. जिसके बाद यहां उन्होंने भगवान नारायण का तप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहां, तो गरुण बोले की मुझे वरदान तो कुछ नहीं चाहिए बस कुछ ऐसा वर दीजिए की आपकी चरणों की कृपा मुझ पर बनी रहें, यह सुन नारायण बेहद प्रसन्न हुए और कहां जो कोई भी भक्त किसी कारणवश चार धाम की यात्रा पूरी न कर पाए और आपके चरणों के दर्शन कर ले तो उसे चार धाम यात्रा का फल प्राप्त हो जाएगा. साथ ही यहां आपको कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है.