धर्म अध्यात्म: आचार्य चाणक्य ने अपनी रचनाओं में कई विषयों पर बात की। उन्होंने अपने नीति शास्त्र चाणक्य नीति में मानव जीवन से संबंधित कई सिद्धांतों, नीतियों और सुझावों को लिखा जिनका पालन करके जीवन में सुख, सफलता और सुकून को प्राप्त किया जा सकता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी इंसान पर भरोसा करने से पहले उसको परखना जरुर चाहिए। जानते हैं चाणक्य के अनुसार किसी व्यक्ति के चरित्र के बारे में जानने की क्या प्रक्रिया है। चरित्र को परखने से जुड़ा श्लोक चाणक्य नीति के पांचवे अध्याय में वे एक श्लोक के माध्यम से ऐसे पैमाने बताते हैं जिनके आधार पर किसी व्यक्ति को परखा जा सकता है - यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणं छेदनतापताडनै:। परेशान श्लोक का अर्थ चाणक्य के अनुसार सोने की परख के लिए सोने को रगड़कर देखा जाता, काटा जाता है, आग में तपाया जाता है और पीट पीटकर देखा जाता है। सोने को परखने की इसी प्रक्रिया की तरह ही चाणक्य व्यक्ति को भी परखने के तरीके बताते है। उनके अनुसार किसी इंसान का चरित्र परखना हो तो उसमें इन चार कारकों को देखना चाहिए, वे हैं त्याग, शीलता, गुण एवं कर्म। त्याग और शीलता यदि व्यक्ति दूसरों कि ख़ुशी के लिए अपने सुखों का भी त्याग करने को तैयार रहें वो भरोसे के लायक होता है। इसके साथ ही उस व्यक्ति का चरित्र शील होना चाहिए। दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार रखता हो और किसी भी प्रकार की गलत मंशा न रखता हो। ऐसे लोगों पर भरोसा किया जा सकता है। गुण और कर्म व्यक्ति में सच का साथ देने का गुण होना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति में क्रोध, आलस्य, घमंड और स्वार्थ जैसे गुण मौजूद हैं तो इन पर भूलकर भी भरोसा न करें। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति के चरित्र को परखने का एक पैमाना है कर्म। व्यक्ति के कर्मों को भी विश्लेषित करना चाहिए। यदि उसके कर्म अनैतिक हों तो वो व्यक्ति भरोसे के लायक नहीं होता।