शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत और पूजा कैसे करें

महादेव और माता पार्वती का प्रिय महीना सावन 2022 (Sawan 2022) 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. माना जाता है

Update: 2022-07-11 12:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महादेव और माता पार्वती का प्रिय महीना सावन 2022 (Sawan 2022) 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. माना जाता है कि इस माह में भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे मन से पूजा करने पर हर मुराद पूरी हो जाती है. महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त सावनभर नियमित रूप से शिव जी की पूजा करते हैं. कई भक्त तो सावनभर का व्रत रखते हैं. लेकिन पूरे माह व्रत रखना सभी के लिए मुमकिन नहीं होता है. ऐसे में आप सावन के सोमवार का व्रत (Sawan Somvar Vrat) रखकर पूरे सावनभर के व्रत का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. यहां जानिए इस बार सावन में कब-कब पड़ेगा और सावन के सोमवार में किस तरह विधिवत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए.

सावन के महीने में पड़ेंगे 4 सोमवार
इस बार सावन के महीने में 5 सोमवार के व्रत पड़ने वाले हैं. पहला सोमवार 18 जुलाई, दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा 01 अगस्त और चौथा सोमवार 08 अगस्त को पड़ेगा. 12 अगस्त को सावन का महीना समाप्त हो जाएगा. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो सावन के महीने में कुल 4 सोमवार के ही व्रत रखे जाएंगे, लेकिन अगर आप संक्रांति के अनुसार सावन के सोमवार का व्रत रख रहे हैं तो आपको 5 सोमवार के व्रत रखने होंगे. संक्रांति के अनुसार सावन की शुरुआत 16 जुलाई से होगी और 17 अगस्त को भद्रा संक्रांति समाप्त होगी. इस हिसाब से सावन का आखिरी और पांचवां सोमवार 15 अगस्त को पड़ेगा.
सावन के सोमवार की पूजा विधि
सावन के सोमवार में व्रत रखने के लिए आप सबसे पहले सोमवार की सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद सुबह मंदिर में जाकर शिव जी का अभिषेक करें. उन्हें बेल पत्र, धतूरा, भांग, चंदन, पुष्प आदि अर्पित करें. घर में आकर भगवान शिव और माता गौरी की विधि विधान से पूजा करें. भगवान को रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. सावन के सोमवार की व्रत कथा पढ़ें. शिव मंत्र का का जाप करें. इसके बाद आरती करें. पूजा के बाद दिन भर निर्जल, निराहार या फलाहार लेकर जैसे भी संभव हो व्रत करें. सेंधा नमक न खाएं या सिर्फ एक बार खाएं. शाम को फिर से आरती करें. अगले दिन स्नान के बाद व्रत का पारण करें
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