कैसे मनाएं इको-फ्रेंडली दिवाली?
दीपों और ख़ुशियों का त्योहार दिवाली हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | Diwali 2020: दीपों और ख़ुशियों का त्योहार दिवाली हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पर्व के लिए लोग अपने घरों को लाइट्स, दियों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाते हैं और स्वादिष्ट पकवान खाते हैं। हालांकि, इस दौरान पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है। इस दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
इसकी वजह है हर साल बड़े पैमाने पर पटाखों, केमिकल युक्त चीज़ों, प्लास्टिक आदि का इस्तेमाल होना, जो ज़ाहिर है पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है। इसलिए पर्यावरण और सेहत दोनों को ध्यान में रखते हुए हमें प्रदूषण मुक्त दिवाली मनानी चाहिए। तो आइए जानें कि हम पर्यावरण के लिए इको-फ्रेंडली दिवाली कैसे मना सकते हैं।
घर लाएं ईको-फ्रेंडली मूर्तियां
इस बार दिवाली पर पूजा के लिए ईको-फ्रेंडली मूर्तियां लाएं। प्लास्टर ऑफ पैरिस की बजाय मिट्टी से बनी इन मूर्तियों से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता क्योंकि मिट्टी आसानी से घुल जाती है। वहीं प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनीं मूर्तियां नष्ट नहीं होतीं, जिससे पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ ही इधर-उधर पड़ी मूर्तियों को देख भावना को भी ठेस पहुंचता है।
तेज़ धमाके या ज़्यादा धुएं वाले पटाखों से बचें
वैसे तो दिवाली क्या किसी भी मौके पर पटाखे के इस्तेमाल पर बैन लगना चाहिए। इससे निकलने वाला धुंआ न सिर्फ आपकी सेहत पर बुरा असर डालता है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। यह धुंआ आपके बच्चों के शरीर को भी कमज़ोर करता है। पटाखों से वायु के साथ ध्वनि प्रदूषण भी होता है।, जो आपकी सुनने की शक्ति को हमेशा के लिए प्रभावित कर सकता है। धुआं अस्थमा और दिल के मरीज़ों के लिए जानलेवा बन जाता है। इसलिए कोशिश करें कि ऐसे पटाखे लें जिनसे कम धुंआ और धमाका हो।
करें ईको-फ्रेंडली मिट्टी के दीयों का करें इस्तेमाल
इलेक्ट्रिक लाइट्स तो आप हर साल लगाते हैं, इस बार बिजली की बचत करें और दिवाली को इको-फ्रेंड्ली बनाने के लिए मिट्टी से बने दियों का इस्तेमाल करें। मिट्टी के अलावा आपको गोबर और बांस से बनें दिये भी बाज़ार में मिल जाएंगे। इनके इस्तेमाल से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा पहुंचेगा बल्कि कुम्हार और छोटे व्यापारियों को आर्थिक मदद भी मिलेगी।
इको-फ्रेंडली मोमबत्तियां
पर्यावरण को बचाने के लिए अब बाज़ार में इको-फ्रेंडली मोमबत्तियां भी मिलती हैं। आप दियों के साथ इनका भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
रंगोली में करें केमिकल-फ्री रंगों का इस्तेमाल
भारत में त्योहारों पर रंगोली बनाने को शुभ माना जाता है। इसलिए हर घर में रंगोली बनाई जाती है। रंगोली के ज़्यादातर रंग कैमिकल युक्त होते हैं। इनसे भी पर्यावरण को नुकसान होता है, साथ ही यह सेहत को भी हानि पहुंचाते हैं। इसलिए इस बार रंगोली बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें।