Religion Spirituality: कैलाश के द्वारपाल नंदी कैसे बनें देवों के देव महादेव की सवारी?

Update: 2024-06-23 10:27 GMT
Religion Spirituality: यह मान्यता है कि भगवान महादेव की पूजा-अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव के मंदिर में नंदी विराजमान होते हैं। क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। आपने देखा होगा कि मंदिर में शिव की प्रतिमा के सामने नंदी की मूर्ति विराजमान होती है। सनातन धर्म में भगवान शिव को सभी देवी-देवताओं में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। वैसे तो सप्ताह के सभी दिन भगवान महादेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है, लेकिन सोमवार के दिन प्रभु की विशेष उपासना की जाती है। साथ ही जीवन के दुखों से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। यह मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है। साथ ही भगवान शिव के मंदिर में लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। भगवान शिव के मंदिर में नंदी विराजमान होते हैं। क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। शिव मंदिर में नंदी के कान में अपनी मनचाही मनोकामना पूरी करने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रचलित है कि ऐसा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके पीछे एक मान्यता यह है कि भगवान शिव तपस्वी हैं। वह सदैव समाधि में रहते हैं। भगवान महादेव कीता में कोई बाधा न आने के लिए नंदी जी प्रभु को मनोकामना पहुंचाते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तप में कोई विघ्न न आए। इसलिए
नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं
। इसलिए लोग मंदिर में जाकर अपनी मनोकामना कहते हैं। बता दें कि भगवान शिव के द्वारपाल नंदी को कहा जाता है। भगवान महादेव lord mahadevके दर्शन करने से पहले नंदी के दर्शन होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में शिलाद नाम के ऋषि थे। उन्होंने अपने जीवन में भगवान शिव की अधिक शुद्धता कर नंदी को पुत्र रूप में प्राप्त किया। वे वेद-पुराण का ज्ञान थे। एक बार ऋषि के आश्रम में दो संत आए। भगवान शिव के आदेश पर महात्मा को अधिक सेवा की। इसके बाद, ऋषि ने दीर्घ आयु का व्रत रखा। लेकिन नंदी के लिए एक शब्द भी नहीं बोला। संतों ने इसका कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि नंदी की आयु कम है। उनके बारे में पिता ऋषि शिलाद बहुत चिंतित हुए। जब नंदी ने उनसे कहा कि पिता जी ने मुझे भगवान महादेव की कृपा से प्राप्त किया है, तो वह ही मेरे जीवन की रक्षा करेंगे। इसके पश्चात शिव जी के लिए नंदी ने अधिक तप किया। इससे महादेव प्रसन्न हुए और उन्होंने अपना वाहन बना लियाशिव जी ने कहा कि मेरी सभी शक्तियां नंदी के पास मौजूद हैं। मां पार्वती
 Mother Parvati
और नंदी की सुरक्षा मेरे साथ है। सनातन धर्म में बैल को बहुत भोला माना गया है, लेकिन काम अधिक करता है। भगवान शिव ने कर्मठ और जटिल होने के कारण नंदी को बैल के रूप में अपना वाहन बनाया, नंदी जी का मुख भगवान शिव की तरफ होता है। उनकी यह मुद्रा महादेव के प्रति सम्पूर्ण ध्यान और भक्ति का प्रतीक है। उनका ध्यान सिर्फ उनके आराध्य पर केंद्रित रहता है।
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