भाद्रपद मास की हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी कल, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Update: 2023-09-02 14:09 GMT
धर्म अध्यात्म: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस समय भाद्रपद मास चल रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के लिए व्रत रखा जाता है। भाद्रपद मास के कृष्णु पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इस बार भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी 3 सितंबर 2023, रविवार को है। इस दिन को बहुला चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी महत्व-
मान्यता है संकष्टी चतुर्थी व्रत के पुण्य प्रभाव से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। जीवन में खुशहाली व सुख-शांति आती है। कहा जाता है कि विघ्नहर्ता जीवन की सभी समस्याओं का निपटारा करते हैं। जातक की मनोकामना पूरी होती है। चतुर्थी तिथि पर चंद्रदर्शन का भी विशेष महत्व होता है।
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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त-
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 02, 2023 को 08:49 पी एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - सितम्बर 03, 2023 को 06:24 पी एम बजे
संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे शुभ योग-
अभिजित मुहूर्त- 11:55 ए एम से 12:46 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:27 पी एम से 03:18 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:41 पी एम से 07:04 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 10:38 ए एम से 06:00 ए एम, सितम्बर 04
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संकष्टी चतुर्थी पूजा- विधि
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
गणपति भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।
भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
भगवान गणेश का ध्यान करें।
गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है।
शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें।
भगवान गणेश की आरती जरूर करें।
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