ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में नवरात्रि के दिनों को बेहद ही खास माना जाता है जो कि देवी साधना को समर्पित होता है इस दौरान भक्त माता रानी के अलग अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं ऐसा करने से देवी की कृपा प्राप्त होती हैं पंचांग के अनुसार अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि 9 अप्रैल से आरंभ हो चुकी है और इसका समापन 17 अप्रैल को हो जाएगा। चैत्र मास में पड़ने के कारण इसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है आज यानी 15 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है जो मां कालरात्रि की साधना को समर्पित किया गया है।
नवरात्रि के नौ दिनों में माता की विशेष पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है ऐसे में अगर आप नवरात्रि के दिनों में माता के शक्तिपीठों के दर्शन व पूजन करते हैं तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा माता रानी के शक्तिपीठों के बारे में बता रहे हैं।
माता के अद्भुत शक्तिपीठ—
देशभर में माता के अलग अलग शक्तिपीठ स्थापित हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है इसके अलावा देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन किया गया है। माता के नौ शक्तिपीठों के बारे में हम आपको बता रहें है।
माता के नौ मुख्य शक्तिपीठ—
कालीघाट मंदिर कोलकाता, यहां माता के पांव की चार अंगुलिया गिरी थी। इसके अलावा अम्बाजी का मंदिर गुजराज, यहां देवी का ह्रदय गिरा था। कोलापुर महालक्ष्मी मंदिर, यहां पर त्रिनेत्र गिरा था। नैना देवी मंदिर, यहां पर आंखों का गिरना माना गया है इसके अलावा कामाख्या देवी मंदिर में योनि गिरी थी। हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन, यहां बायां हाथ और होंठ गिरा था। इसके अलावा ज्वाला देवी मंदिर में सती की जीभ गिरी थी। कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था।