मेवाड़ का हरिद्वार, जहां परशुराम को मातृहत्या के पाप से मिली थी मुक्ति

Update: 2023-09-08 18:45 GMT
धर्म अध्यात्म: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है मातृकुंडिया जो राशमी तहसील के हरनाथपुरा पंचायत में स्थित है. मान्यता है कि यह वहीं जगह है, जहां भगवान परशुराम अपनी मां की हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. यहां पर भगवान परशुराम ने शिव जी की तपस्या कर और फिर शिव जी के कहे अनुसार मातृकुंडिया के जल में स्नान करने से उनके पाप धुल गया अर्थात भगवान परशुराम ने पाप से मुक्ति पाई इसी कारण इस स्थान को मातृकुंडिया कहा जाने लगा.
मातृकुंडिया का अर्थ माता के पाप से मुक्ति देने वाला कुंड, जो मातृकुंडिया बनास नदी पर स्थित है. यहां पर एक प्राचीन कुंड है. इस कुंड के पानी से स्नान करने पर, जाने अनजाने में हुए पाप से मुक्ति मिलती है. इस कुंड में मेवाड़ के लोगों द्वारा अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन भी किया जाता है. जो लोग अपने पूर्वजों की अस्थि को हरिद्वार नहीं ले जा सकते वह मातृकुंडिया में ही अस्थि का विसर्जन करते हैं. इसीलिए इस स्थान को मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है. मंदिर के महंत द्वारा बताया मंदिर का निर्माण मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह ने करवाया था.
वैसे तो मातृकुंडिया में बहुत सारे मंदिर स्थित हैं पर उनमें से सबसे प्रमुख मंदिर मंगलेश्वर महादेव का मंदिर है. मंदिर के महंत के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह जी द्वारा करवाया गया था. भगवान शिव के अलावा हनुमान जी और जीवित समाधि लेने वाले बाबा का समाधि स्थल भी स्थित है. यहां पर छोटे-बड़े 25 मंदिर हैं. अलग-अलग समाज जनों द्वारा बनाई गई 30 धर्मशाला स्थित है. यहां पर स्नान करने के लिए अनेक घाट का निर्माण करवाया गया है, सबसे प्रमुख परशुराम घाट है. वहीं बहुत बड़ा बाजार स्थित है, जो चूड़ियों और खिलौनों के लिए प्रसिद्ध हैं
मातृकुंडिया बांध चित्तौड़गढ़ व राजसमंद जिले की सीमा पर स्थित है, लेकिन यह चित्तौड़गढ़ में आता है. मातृकुंडिया बांध बनास नदी पर स्थित है. राजसमंद में स्थित नंद संमद बांध के भर जाने पर मातृकुंडिया बांध में इसका पानी आता है. मातृकुंडिया बांध में पानी की आवक उदयपुर और राजसमंद जिले से होती है. बांध की भराव क्षमता 28 फिट है. इस बांध का निर्माण 1981 में पूर्ण हुआ था. बांध का जल ग्रहण क्षेत्र 3485 वर्ग किलोमीटर है, लंबाई 8400 मीटर है. इस बांध में 52 गेट हैं, जो राजस्थान के किसी भी बांध में नहीं है अर्थात सर्वाधिक गेट वाला बांध है.
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