Guru Gobind Singh Jayanti 2021 : गुरु गोविंद सिंह जयंती सिखों के दसवें गुरु के बारे में जाने
गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु- गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। वह उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद वे गुरु बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने साल 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। गुरु गोविंद सिंहजी की जयंती इस बार 20 जनवरी को है। तो आइए इस मौके पर गुरु गोविंद सिंहजी के बारे में कुछ विशेष बातें जान लेते हैं।
गुरु गोविंद सिंहजी ने की थी इस ग्रंथ की स्थापना
सिख धर्म के लिए श्री पौंटा साहिब गुरुद्वारे का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इसका खास कारण यह है कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह ने 4 साल व्यतीत किये थे। इसके अलावा इस गुरुद्वारे की स्थापना करके उन्होंने दशम ग्रंथ की स्थापना की थी। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
दशम ग्रंथ के अलावा की थी इसकी भी स्थापना
गुरु गोविंद सिंहजी ने दशम ग्रंथ के अलावा जाप साहिब, अकाल उस्तत, चंडी दी वार, जफरनामा, शब्द हजारे, बचित्र नाटक सहित अन्य रचनाएं कीं। बता दें कि उन्होंने मानवजाति की सेवा के लिए साहित्य का प्रयोग किया। उनकी रचनाओं में यह साफ झलकता है। उनकी रचनाओं से लोगों को कठिन से कठिन समय का सामना करने की सीख मिलती है।
तब गुरु गोविंद ने किया था यमुना नदी को शांत
गुरु गोविंद सिंह ने श्री पौंटा साहिब गुरुद्वारे के समीप दशम ग्रंथ की रचना यमुना नदी के किनारे की थी। कहा जाता है कि उस समय नदी अत्यधिक शोर करती थी। तब गुरु गोविंद सिंह जी ने यमुना नदी से धीरे बहने का अनुरोध किया। बताया जाता है कि तबसे श्री पौंटा साहिब गुरुद्वारे के समीप से बहने वाली यमुना नदी बिल्कुल शांत हो गई और आज भी शांति से ही बहती है।
गोविंद सिंहजी ने की थी इस वाद्ययंत्र का अविष्कार
गोविंद सिंहजी का कला-साहित्य के प्रति अगाध प्रेम था। उन्होंने ही संगीत वाद्ययंत्र दिलरुबा का अविष्कार किया था। इसका इस्तेमाल कई संगीतकारों ने भी किया है। बताया जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी के दरबार में तकरीबन 52 कवि थे।