घर में हर दिन अलग-अलग चीजों से दें धूनी, मिलेंगे ये फायदे
घर में हर दिन अलग-अलग चीजों से दें धूनी
अगरबत्ती या धूनी (Dhuni) जलाने की परंपरा सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में पाई जाती है. हिंदू धर्म (Hinduism) में भी प्राचीन काल से धूप जलाने या धूनी देने की परंपरा रही है. हिंदू घर्म में शायद ही कोई पूजा (worship) हो जो अगरबत्ती की सुगंध के बिना पूरी हो. इसके साथ ही धूप जलाने से मन को शांति मिलती है और घर का वातावरण भी शुद्ध (pure atmosphere) होता है. हिंदू शास्त्रों में धूप जलाने या धूनी देने को विशेष महत्व दिया गया है. ऐसा माना जाता है कि अलग- अलग चीजों की धूनी से अलग-अलग प्रभाव और लाभ होते हैं. ऐसी कई चीजें हैं जिनके नियमित रूप से (fumigation) धूनी करने से हम रोगों और दोषों से मुक्त रह सकते हैं. आइए जानें किन अलग-अलग चीजों से कर सकते हैं घूनी.
कपूर और लौंग की धूनी
घर में नित्य पूजा के बाद कपूर और लौंग की धूनी करनी चाहिए. ऐसा करने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, कीटाणुओं का नाश होता है. स्वास्थ्य अच्छा रहता है और नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है.
गुग्गल की धूनी
गुग्गल एक बहुत ही सुगंधित सामग्री है. इसकी धूनी से गृहकलह शांत होता है. ये मानसिक रोगों में भी लाभकारी होता है. गुग्गल बहुत गुणकारी होता है.
लोबान की धूनी
लोबान की धूनी भी बहुत प्रभावी होती है. इसे जलाने के कुछ नियम होते हैं. इसे सुलगते हुए कंडे या अंगारे पर रख कर जलाया जाता है. इसे जलाने से अलौकिक शक्तियां आकर्षित होती हैं और दूर भगाती हैं. इसलिए बिना विशेषज्ञ की सलाह के इसे नहीं जलाना चाहिए.
नीम के पत्तों की धूनी
नीम जीवाणुनाशक है. सप्ताह में एक या दो बार नीम के पत्तों की धूनी जलाएं. इससे घर में छिपे सभी तरह के कीटाणु मर जाते हैं. हानिकारक मच्छर और कीड़े आदि भी मर जाते हैं. ऐसा करने से घर से रोग दूर होते हैं.
दशांग की धूनी
गुग्गुल, चंदन, जटामांसी, लोबान, राल, खस, नख, भीमसेनी कपूर और कस्तूरी जैसी सामग्री को समान मात्रा में मिलाकर दशंग की धूप बनती है. इससे घर में शांति का वातावरण रहता है और रोग नष्ट होते हैं.
षोडशांग की धूनी
ये धूप अगर, तगर, कुष्ठ, शैलज, शर्करा, नागर, चंदन, इलायची, तज, नखनखी, मुशीर, जटामांसी, कर्पूर, ताली, सदलन और गुग्गल जैसी सोलह तरह की चीजों से बनाई जाती है. इसे जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है. रोग और दोष दूर होते हैं और आकस्मिक दुर्घटना का भय भी समाप्त होता है.