Gita Jayanti 2020 Date: जानें कब है गीता जयंती, क्‍यों हजार सालों बाद आज भी प्रासंगि‍क है गीता?

जानें इस बार कब है गीता जयंती

Update: 2020-12-06 14:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :  जानें इस बार कब है गीता जयंती- गीता जयंती प्रत्‍येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्‍लपक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। जानकारी के अनुसार इसी द‍िन आज से 5 हजार साल पहले द्वापर युग के दौरान कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। उसी दिन योगेश्‍वर ने अर्जुन के ज्ञानचक्षु खोले इसलिए इस दिन को गीता जयंती और मोक्षदायिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि इस बार मोक्षदायिनी एकादशी यानी कि गीता जयंती 25 दिसंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं गीता जयंती क्‍या है, उस द‍िन क्‍या हुआ था और इस द‍िन का महत्‍व क्‍या है?

नियंता को कभी भी अस्‍वीकार नहीं करना चाहिए
जानकारी म‍िलती है क‍ि योगेश्‍वर श्रीकृष्‍ण ने जिस तरह से प्रेम को पाठ अनुपम पाठ पढ़ाया। ठीक उसी तरह से उन्‍होंने शरणागत अर्जुन को भी ज्ञान की प्राप्ति कराई। उसे जीवन जीने का सही तरीका बताया। कथा मिलती है कि जब अर्जुन ने अपनों के खिलाफ शस्‍त्र उठाने से मना कर दिया तब मुरलीधर ने उन्‍हें गीता रूपी ज्ञान दिया। उन्‍होंने अर्जुन को बताया कि 'भौतिक प्रकृति मेरी अध्‍यक्षता में कार्य करती है।' उन्‍होंने बताया कि हमारे आसपास जो घटित हो रहा है वह सबकुछ नियंता के द्वारा ही हो रहा होता है। इसलिए नियंता को कभी भी अस्‍वीकार नहीं करना चाहिए।
महज 7सौ श्‍लोक में छिपा है जीवन का पूरा सार
श्रीमद्भगवत गीता में 18 अध्‍याय और 700श्‍लोक हैं। इसमें 574 श्‍लोक योगेश्‍वर श्रीकृष्‍ण ने कहे हैं, 84 अर्जुन ने कहे हैं, 41संजय ने और 1 धृतराष्‍ट्र ने कहा है। गीता सनातन धर्म का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ माना गया है। इसे महाभारत का अमृत के रूप में भी जानते हैं। योगेश्‍वर श्रीकृष्‍ण कहते हैं कि इसका पाठ करने वाला कितना भी मलिन क्‍यों न हो लेकिन उसे ईश्‍वर की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दर्शनशास्‍त्र का बेहतरीन उदाहरण है गीता
अर्जुन को ज्ञान देने वाली 'श्रीमद्भगवत गीता' धार्मिक ग्रंथ तो है ही साथ ही यह दर्शन शास्‍त्र का भी बेहतरीन उदाहरण है। इसमें जीवन में आने वाली हर समस्‍या का हल दिया गया है। फिर चाहे वह भावनात्‍मक समस्‍या हो या फिर मानसिक परेशानी हो। विद्वान कहते हैं कि गीता का पाठ जीवन की समस्‍त समस्‍याओं का समाधान कर देता है।
परमात्‍मा को पाने के लिए देनी होती है जीवनरूपी परीक्षा

योगेश्‍वर श्रीकृष्‍ण गीता में अर्जुन को बताते हैं कि वह ही ब्रह्मा बनकर सृष्टि का निर्माण करते हैं और रूद्र बनकर सृष्टि का संहार करते हैं। वह कहते हैं कि वह यह सृष्टि यूं ही बनाते और बिगाड़ते रहेंगे ताकि आत्‍माओं को मौका मिल सके। वह इस जन्‍म और मृत्‍यु से पार पाकर मोक्ष पाकर ईश्‍वर के साथ रह सकें। उन्‍होंने बताया कि आत्‍मा को परमात्‍मा के साथ हमेशा रहने के लिए इस जीवनरूपी परीक्षा को देना ही होगा। योगेश्‍वर बताते हैं कि 88हजार करोड़ योनियों में भ्रमण करने के बाद व्‍यक्ति को मर्यादित जीवन जीने का मौका देने के लिए मनुष्‍य रूपी जन्‍म लेने का अवसर मिलता है। इस जीवन में वह अपने गुणों के आधार पर परमात्‍मा की प्राप्ति कर सकता है।
इसल‍िए आज भी प्रासंग‍िक है गीता और मनाते हैं जयंती
जिस तरह कुरुक्षेत्र में योगेश्‍वर ने अर्जुन को ज्ञान का पाठ पढ़ाया। उन्‍हें सही और गलत का फर्क समझाया ताकि वह अपने जीवन का सदुपयोग कर सकें। यही नहीं गीता में वर्णित हर श्‍लोक में जीवन जीने की अद्भुत कला बताई गई है। साथ ही हर पर‍िस्थिति से धैर्यपूर्वक न‍िपटने की कला भी बताई गई। यही वजह है कि आज भी हजार सालों गीता जयंती प्रासंगिक है। ताकि लोगों को अच्‍छे-बुरे कर्मों का फर्क समझाया जा सके। उन्‍हें जीवन की हर परिस्थिति से न‍िपटने के ल‍िए श्रीहर‍ि के श्रीमुख से न‍िकली हुई गीता की महत्‍ता समझाई जा सके।


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