भगवान गणेश की पूजा करने से दुख और क्लेश से पाएं छुटकारा

हर माह की चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. इसके अलावा पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वरद चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है.

Update: 2022-01-05 06:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर माह की चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. इसके अलावा पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वरद चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. साल 2022 में वरद चतुर्थी 6 जनवरी को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से दुख और क्लेश से छुटकारा मलता है.

वरद चतुर्थी शुभ मुहूर्त ((Varad Chaturthi Shubh Muhurat)
पंचांग के मुताबिक इस बार वरद चतुर्थी का व्रत 6 जनवरी के दिन रखा जाएगा. इस दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 11 बजकर 15 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट तक है. इसके अलावा चौघड़िया मुहूर्त में भी गणपति की पूजा की जा सकती है.
वरद चतुर्थी पूजा-विधि (Varad Chaturthi Puja Vidhi)
वरद चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए सुबह उठकर साफ पानी में कुछ बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. फिर विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा करें. पूजा के दौरान गणेश जी को फूल, फल, लड्डू आदि आर्पित करें. अगर व्रत रखना चाहते हैं तो फलाहार करके भी उपवास कर सकते हैं. शाम की आरती के बाद व्रत का उद्यापन करें.
वरद चतुर्थी पूजा मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

जाननं भूतगणाधिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,
मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा:

ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

पूजा के दौरान ऊपर दिए गए मंत्रो को बोलन से नौकरी और व्यापार में तरक्की होती है. साथ ही हर मनोकामना की पूर्ति होती है.


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