कुंडली के मंगल दोष से पाए छुटकारा, मंगलवार के दिन करें ये सरल उपाय

मंगलवार संकटमोचन हनुमान जी को समर्पित है. इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से वो भक्तों के सभी दुख हर लेते हैं

Update: 2021-12-21 11:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Mangal Dosh Upay: मंगलवार (Tuesday) का दिन संकटमोचन हनुमान जी (Hanuman Ji) को समर्पित है. इस दिन हनुमान जी की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से वो भक्तों के सभी दुख हर लेते हैं. इतना ही नहीं, भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी ही मंगल ग्रह (Mangal Grah) के कारक देव हैं. मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से मंगल दोष (Mangal Dosh) से मुक्ति मिलती है.

मान्यता है कि कुंडली में मंगल दोष (Mangal Dosh In Kundali) के कमजोर होने की स्थिति में हनुमान जी की पूजा (Hanuman Ji Puja) करने के साथ-साथ कुछ उपाय भी किए जा सकते हैं. मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर (Hanuman Mnadir) में जाकर चमेली के तेल (Chameli Ke Tel) का दिया जलाने से मंगल दोष (Magal Dosh) से मुक्ति मिलती है. साथ ही, घी और सिंदूर का लेप हनुमान जी को अर्पित कर बजरंग बाण का पाठ (Bajrang Baan Path) करना चाहिए. नियमित रूप से हर मंगलावर को ऐसा करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है. मंगलवार के दिन करें ये बजरंग बाण का पाठ.
श्री बजरंग बाण का पाठ (Shri Bajrang Baan Path)
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैंसनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैंहनुमान
चौपाई 
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजैप्रभुअरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसेकूदि सिंधुमहिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा
आगेजाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधुमहँबोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जैहनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनुहनुहनुहनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनुअरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हेंमारु, तोहि सपथ राम की। राखुनाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृहगृ माहीं। तुम्हरेबल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जैजैजैधुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँपरौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चंचचंचंचपल चलंता। ॐ हनुहनुहनुहनुहनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ संसंसहमि परानेखल-दल॥
अपनेजन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करैबजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करैप्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपैहमेसा। ताके तन नहिं रहैकलेसा॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करैधरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैंसब काम सफल हनुमान॥


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