Garuda Purana: गरुड़ पुराण भूत-प्रेत की धारणा को लेकर क्या कहता है, जानिए

भूत-प्रेत और स्वर्ग-नर्क की कहानियां तो बचपन से हम सबने सुनी हैं, लेकिन वास्तव में इनके बारे में जानना है, तो आपको गरुड़ पुराण पढ़ना चाहिए. इस महापुराण में इन बातों का वास्तविक चित्रण किया गया है.

Update: 2021-10-16 05:46 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।जीवन को जीते समय में हम उसे अनुभव करते हैं, लेकिन मृत्यु आते समय व्यक्ति को कैसा महसूस होता है, यमराज या उनके दूत जैसी कोई चीज क्या वाकई होती है, इसके अलावा स्वर्ग -नर्क या भूत-प्रेत जैसी भी कोई चीज होती है, इसके बारे में तो तभी पता चलता है, जब व्यक्ति स्वयं मृत्यु की दहलीज पर पहुंचता है.

लेकिन अगर आप इनके बारे में जीवित रहते हुए जानना चाहते हैं, तो आपको गरुड़ पुराण पढ़ना चाहिए. इस महापुराण में जीवन की तमाम नीतियों के अलावा मृत्यु के समय और बाद की स्थितियों व स्वर्ग-नर्क और पितृलोक के बारे में काफी कुछ बताया गया है. साथ ही जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा के अंतर को भी बताया गया है. यहां जानिए भूत-प्रेत की धारणा को लेकर क्या कहता है गरुड़ पुराण.
मत्यु के बाद ऐसे लोग बनते भूत
गरुड़ पुराण के अनुसार सभी मरने वाले भूत और प्रेत नहीं बनते. जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं लेकर मरता है या फिर दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरता है, उसे मृत्यु के ​बाद भूत बनना पड़ता है. ये आत्माएं अतृप्त होकर मरती हैं, इसलिए इन्हें शांत और तृप्त करने के लिए शास्त्रों में तर्पण और श्राद्ध के नियम बताए गए हैं. यदि श्राद्ध और तर्पण के जरिए इन आत्माओं को संतुष्ट न किया जाए तो ये किसी न किसी तरह परिवार के लोगों को परेशान करने का प्रयास करती हैं.
भूत-प्रेतों की होती हैं तमाम जातियां
गरुड़ पुराण की मानें तो जब आत्मा भौतिक शरीर में वास करती है, तब वो जीवात्मा कहलाती है. जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करती है, तब सूक्ष्मात्मा कहलाती है और जब ये वासना और कामनामय शरीर में रहती है, तब इसे प्रेतात्मा कहा जाता है. भूत-प्रेतों की शक्तियां अपार होती हैं और इनकी तमाम जातियां भी होती हैं जिन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल आदि कहा जाता है.
सभी जीवात्माएं नहीं बनतीं भूत-प्रेत
गरुड़ पुराण में 84 लाख योनियों का जिक्र है, जिसमें कीट-पतंगे, पशु-पक्षी, वृक्ष और मानव आदि सभी शामिल हैं. इनमें से तमाम योनियों की जीवात्माएं मरने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चली जाती हैं. लेकिन वे सभी अदृश्य तो होती हैं, लेकिन बलवान नहीं होतीं. अदृश्य होकर बलवान होना आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है. वहीं कुछ पुण्य आत्माएं मरने के बाद भूत या प्रेत योनि में न जाकर पुन: गर्भधारण कर लेती हैं.


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