हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्व हैं जिसमें लोग मंत्र जाप के समय माला भी फेरते हैं। माला पूजा-पाठ में अपना विशेष महत्व रखती हैं जिसे धारण करने की धार्मिक मान्यताएं भी हैं। माला को धारण कर जीवन की कई समस्याओं का निवारण किया जा सकता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माला भी कई प्रकार की होती हैं जिन्हें धारण करने के भी अपने विशेष नियम होते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको माला धारण करने के नियम और उनसे मिलने वाले फायदे की जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
स्फटिक की माला
स्फटिक की माला देवी लक्ष्मी को अतिप्रिय है। मान्यता है कि इसे धारण करने से देवी लक्ष्मी की कृपा होने से हर सुख-सुविधाओं का लाभ मिलता है। कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। घर, कारोबार व वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। कारोबार व नौकरी से जुड़ी समस्याएं दूर होकर तरक्की के रास्ते खुलते हैं। इसे धारण करने वाले को मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन खाने से बचना चाहिए। इसे धारण करने के लिए शुक्रवार का दिन शुभ माना जाता है। इसके लिए सबसे पहले स्फटिक रत्न को गंगा जल से शुद्ध करके देवी लक्ष्मी के आगे रखें। देवी मां की पूजा करने के साथ रत्न को धूप व दीपक दिखाएं। फिर 'ॐ श्री लक्ष्मये नमः' मंत्र का जप करके इसे गले में धारण कर लें। रोजाना नियमित रूप से एक माला इस मंत्र का जाप करें।
तुलसी की माला
तुलसी की माला भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। मान्यता है कि तुलसी के बिना श्रीहरि की पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही घर में तुलसी का पौधा लगाने से देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसके साथ तुलसी के बीजों से तैयार माला धारण व इससे जप करने से मानसिक शांति मिलती है। इसे धारण करने के लिए कच्चे दूध व गंगाजल को मिलाकर तुलसी माला धोकर भगवान श्रीहरि को चढ़ाएं। फिर विधि-विधान से पूजा करके प्रसाद स्वरूप समझकर माला को गले में धारण करें। इसे पहनकर शौच जाने से बचें। साथ ही इस मनुष्य को मांस-मदिरा से परहेज रखना चाहिए।
रुद्राक्ष की माला
रुद्राक्ष भगवान शिव जी का अतिप्रिय व बेहद पवित्र होता है। इसके धारण करने व पूजा स्थल में रखने के सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके साथ ही इस पवित्र के आसपास ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बन जाता है। ऐसे में जीवन से जुड़ी सारी परेशानियों व मुश्किलों से छुटकारा मिलता है। साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तनाव दूर होकर घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली का वास होता है। इसे धारण करने के लिए सबसे पहले एकमुखी रुद्राक्ष को पीतल के बर्तन में रखें। अब 108 बिल्वपत्र पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय मंत्र' लिखकर रुद्राक्ष पर रखकर रातभर रहने दें। अगली सुबह नहाकर व साफ कपड़े पहनें। शिवलिंग व शिव जी की मूर्ति से स्पर्श करके इसे धारण करें। इसके लाल, पीले धागे में पुरोकर ही धारण करें। काले धागे में इसे धारण करने की गलती ना करें। इसे पहने के बाद सुबह-शाम शिव जी का पूजा करें और 'ॐ नम: शिवाय मंत्र' का जाप करें। इस पवित्र रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को अंडा, लहसुन, प्याज, मदिरा आदि का सेवन करने से परहेज रखना चाहिए। इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति को झूठ बोलने, वाद-विवाद करने से बचना चाहिए।